इकाई : 1
भक्तिकाल – सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक पहलू
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
भक्ति काल का आरंभ एक विशेष परिस्थिति में हुआ है । उस समय हिन्दू राजाओं की राजसत्ता नष्ट होने के कारण |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
भक्ति काल से तात्पर्य भगवत धर्म के प्रचार एवं प्रसार से है |
लोक – प्रचलित भाषाएँ भक्ति मार्ग की अभिव्यक्ति का माध्यम के रूप में बदल गयी|
भक्तिकाल की समृद्ध दार्शनिक वातावरण से परिचय प्राप्त करना ।
समन्वय भावना का प्रदर्शन ।
भक्ति काल में सामाजिक-सांस्कृतिक और भाषा संबंधी अभिवृद्धि ।
Discussion / चर्चा
3.1.1 राजनीतिक स्थिति
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो भक्ति काल में उत्तर भारत का शासन तुगलक वंश के आरंभ से लेकर मुगल वंश के शाहजहाँ के समय तक का है । तब गोरी वंश का मुहम्मद गोरी भारत पर आक्रमण शुरू किया था । चौहान वंशीय सम्राट पृथ्वीराज चौहान, मुहम्मद गोरी के हाथों से मारा गया । परिणामतः दिल्ली साम्राज्य की स्थापना हुई । कुतुबुद्दीन ऐबक, मुहम्मद गोरी का उत्तराधिकारी बना । सन् 1290 में भारत में खिलजी वंश की स्थापना हुई । करीब छह वर्ष तक जलालुद्दीन खिलजी का शासन काल रहा था ।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के पश्चात गियासुद्दीन ने तुगलक वंश की स्थापना की । सन् 1451 में लोदी वंश स्थापित हुआ । इसमें लोदी वंश के सुलतान सिकंदर लोदी प्रसिद्ध है । सन् 1525 में बाबर भारत आया । बाबर ने यहाँ के राजा-महाराजाओं को पराजित कर भारत में मुगल वंश की स्थापना की । मुगल काल हिन्दी के भक्ति साहित्य का सुवर्ण काल कहा जाता है । अकबर जैसे मानवीय चेहरा दर्शाये, सुसंस्कृत सम्राटों और सत्ताधारियों ने भक्ति के अजस्र प्रवाह को अवश्य प्रोत्साहन दिये ।
3.1.2 सामाजिक स्थिति
तत्कालीन सामाजिक जीवन की ओर दृष्टि डालने पर मालूम होता है कि इस समय हिन्दूओं में जाति-चिंता, वर्ण-व्यवस्था, अंधविश्वास आदि बुराइयाँ जोरों पर थे । हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक या आर्थिक संपर्क और एकता न थे । इस संदिग्ध स्थिति में दोनों के बीच मेल बनाने के लिए कई कवियों ने लेखनी चलाई । स्पष्ट है कि भक्ति काल के कृष्ण भक्ति धारा में कई भक्त मुसलमान थे । वैसे नाथों और सिद्धों ने जाति व्यवस्था का विरोध किया । यह भी नहीं, इस समय यहाँ की व्यापार-व्यवसाय की फैलाव देश-देशांतर में हुई । जिससे सामाजिक-सांस्कृतिक और भाषा संबंधी अभिवृद्धि अवश्य हुई ।
3.1.3 सांस्कृतिक स्थिति
समनव्यात्मकता भारतीय संस्कृति की सब से बड़ी विशेषता है| भक्तिकालीन समय में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियं एक जुड़ हो गयी| संगीत, चित्र-कलाओं में दोनों संस्कृतियों के समन्वय स्थापित हुआ | इस प्रकार भक्तिकाल में भारत की संस्कृति का रूप अधिक निखारने लगा |
चर्चा के मुख्य बिंदु
भक्ति काल के सामजिक , राजनीतिक, संस्कृतिक स्थिति|
भक्ति काल के महत्त्व |
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
भक्ति काल के आरंभ की स्थिति को समझने के लिए तत्कालीन परिस्थितियों का अध्ययन करना ज़रूरी है। साहित्यिक दृष्टि से देखे तो मुगल काल हिन्दी के भक्ति साहित्य का सुवर्ण काल कहा जाता है।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
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Answer to Objective type questions / उत्तर
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Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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