इकाई : 1
रीतिकाल- सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक परिवेश
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
इतिहास का लक्ष्य अतीत की व्याख़्या करते हुए विकास क्रम की जानकारी प्राप्त करना है । अत: हम कह सकते हैं कि इतिहास के बिना वर्तमान का अध्ययन अधूरा है । इसलिए ही इतिहास के अध्ययन के बिना किसी भी क्षेत्र की विस्तूत जानकारी प्राप्त करना मुश्किल है । साहित्य की आलोचना के संदर्भ में भी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उपयोग किया जाता है । इस लिए कह सकते है कि हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में भी इतिहास लेखन की यह प्रमुखता देख सकते है । रीति काल हिन्दी साहित्य के तीसरा काल है । यह काल ‘उत्तर मध्यकाल’ नाम से भी जाने जाते हैं । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसकी समय-सीमा संवत् 1700 से संवत् 1900 तक निश्चित किया गया है । इस युग के साहित्य में रीति निरूपण और श्रृंगारिकता की प्रवृत्तियां देख सखते हैं | किसी भी साहित्य की गतिविधियों को समझने केलिए उस काल के साहित्य की तत्कालीन परिस्थितियों को समझना अनिवार्य है । इस दृष्टि से रीतिकालीन सामाजिक,धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों का अध्ययन करना आवश्यक है | रीतिकालीन समाज भेद-भावों से भरा हुआ था । मुगलों का पतन और अंग्रज़ों का शासन आदि के कारण राजनीतिक क्षेत्र में भी अशांति था । सांस्कृतिक अवस्था भी शोचनीय थी । लोग धार्मिक मूल्यों से दूर रहकर विलास क्रीडाओं में आकृष्ट होने लगें । |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
रीतिकाल में देश की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक बदलाव का असर साहित्य पर देख सकते हैं । इस कारण से इस युग का साहित्य अत्यंत समृद्ध कहा जा सकता है । इस युग के अधिकांश कवि अपने आश्रयदाताओं की प्रशंसा कर रहे थे । इस युग के कवियों की व्यापक प्रवृत्ति श्रृंगारिक हैं । इस काल की रचनाएँ संस्कृत काव्य शास्त्र की पद्धति के अनुसार होने के कारण इस युग को “रीतिकाल” कहा जा सकता है ।
Discussion / चर्चा
5.2.1 रीतिकालीन सामाजिक परिवेश
रीतिकालीन समाज सामंतवादी समाज था । समाज भेद-भावों से भरा था । कुरीतियों से भी भरा हुआ था । समाज में मुख्य रूप से दो वर्ग थे । उच्च वर्ग या अमीर और निम्न वर्ग या गरीब । किसान और श्रमिक वर्ग निम्न या गरीब वर्ग में आते हैं । शासक वर्ग , साहूकार और व्यापारी वर्ग अमीरों का प्रतीक था । जनसामान्य की शिक्षा ,चिकित्सा आदि का कोई प्रबंध नहीं था । लोग नैतिक मूल्यों से अलग रहते थे ।
5.2.2 रीतिकालीन सांस्कृतिक और धार्मिक परिवेश
इस युग की सांस्कृतिक परिवेश अत्यंत शोचनीय थी । अकबर, जहांगीर और शाह्जहां की उदारवादी नीति के कारण इस्लाम और हिन्दू संस्कृतियाँ निकट आये थें । संतों और सूफियों का योगदान भी उल्लेखनीय हैं । लेकिन बाद में आयी राजनीतिक बदलाव के कारण लोग विलास क्रीडाओं में लगने लगे । मंदिरों में भी विलास की लीला होने लगी । हिंदू और इस्लाम धर्म के लोग जीवन की वास्तविकता से हट गया । धर्म के आध्यात्मिक प्रभाव से हटकर जीवन बिताते थे । इस प्रकार हिंदू और मुसलमान दोनों, धर्म के मूल सिद्धांतों से दूर रहते थें । बाह्याडम्बर और अंधविश्वास में डूब गया था | पूजारी और मुल्ला जनता के इस अंध्विश्वास का लाभ उठाते थे ।
रीति काल की धार्मिक समाज में नैतिकता कम थी, अनैतिकता बढ़ चुकी थी । समाज में जातिवाद , अंधविश्वास, छुआछूत, तरह-तरह की रूढ़ियाँ, बाह्याडंबर, स्त्रियों के प्रति अन्याय आदि ज्यादा से ज्यादा फैले हुए थे । हिन्दुओं में विविध देवी-देवों की आराधना की प्रथा थी । मुसलमान एकेश्वरवाद पर आगे बढ़ते थे । कहीं-कहीं हिन्दु-मुसलमान में मानसिक अंतर था ।
5.2.3 साहित्यिक परिस्थिति
रीति काल में मुगल शासक शासन करते थे । मुगल शासक संगीत, शिल्पकला, चित्रकला आदि को प्रोत्साहन देते थे । श्रृंगारिकता रीतिकालीन कवियों का प्राण रहे थे । अधिकांश कवि राजा-महाराजा को खुशामद करने के लिए श्रृंगार पर अवलंबित रचनाएँ करते थे । रीतिमुक्त कवियों ने कृष्ण के इतिहास-चरित काव्य विषय बनाया है ।
इस काल में कवियों और रचनाकारों को अपने राजा से सम्मान प्राप्त करने के कारण साहित्य और कला की स्थिति अच्छी रही ।
5.2.4 रीतिकालीन राजनीतिक परिवेश
रीतिकाल मुगल शसन के वैभव के बाद का समय है । मुगल शासन समय देश में शांति थी । राजनीतिक दृष्टि से यह काल मुगलों के शासन के चरमोत्कर्ष काल है । शाह्जहां के शासन काल में मुगल वैभव अपनी चरम सीमा पर रहा । जहांगीर अपने शासन काल में राज्य का विस्तार किया । शाह्जहां ने उसकी वृद्धि की । राजपूतों ने भी शासन कार्य संभाला । शाह्जहां की मृत्यु के बाद उनके पुत्र शासन कार्य संभाला । दाराशिकोह और औरंगज़ेब उन्में से हैं । औरंगज़ेब के पश्चात लगभग 50 वर्ष तक शासन स्थिर न हुआ । जो अधिक समय केलिए आये , वे विलास में निमग्न रहने के कारण राज्य की देखभाल न कर सका।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
रीतिकाल में कवियों और कलाकारों को तत्कालीन राजाओं से सम्मान प्राप्त होने के कारण साहित्य और कला की स्थिति अच्छी ही रही । लेकिन विलासी राजाओं के आश्रय में रहेने के कारण इन कविओं का मुख्य लक्ष्य उन्हें संतुष्ट करना था । इसलिए इन रचनाओं में साहित्यिक गुण का अभाव देख सकते हैं ।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
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Answer / उत्तर
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Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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