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HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
Private: BA Hindi
About Lesson

इकाई : 2

वीरगाथकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  • वीरगाथात्मक रचनाओं के बारे में समझता है ।
  • वीरात्मक रचनाओं के उत्कृष्ट लेखकों का परिचय प्राप्त होता है ।
  •  पृथ्वीराज रासो का परिचय प्राप्त होता है ।

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

वीरगाथा काल के रचनाओं के प्रमुख विषय राजाओं के शौर्य प्रदर्शन ।  युद्धों का सजीव वर्णन । अपने राज्य के विस्तार । आक्रमणों का सामना ।

Key Themes / मुख्य प्रसंग 

वीररस प्रधान रचनाएँ ।

रासो साहित्य ।

युद्ध वर्णन ।

शौर्य प्रदर्शन ।

आश्रयदाताओं की प्रशंसा ।

Discussion / चर्चा

आचार्य शुक्ल ने प्रारंभिक काल में वीरगाथाओं की प्रमुखता को ध्यान में रखकर इसे वीरगथा काल के नाम से अभिहित किया । यह नामकरण उन्होनें 12 पुस्तकों में वीरगाथात्मक साहित्य से संबंधित पुस्तकों की अधिकता को देखकते हुई किया । उक्त काल के भीतर दो प्रकार की रचनाएँ मिलती हैं :-

2.2.1 अपभ्ंश और देश भाषा ( बोलचाल ) की ।

अपभ्ंश रचनाएं :-

  1. विजयपाल रासो  ।
  2. हम्मीर रासो ।
  3. कीर्तिपताका ।
  4. कीर्तिलता ।

देशी भाषा काव्य की आठ पुस्तकों का नाम :-

  1. खुमान रासो ।
  2. बीसलदेव रासो ।
  3. पृथ्विराज रासो  ।
  4. जयचन्द्र प्रकाश  ।
  5. जयमयकांजस चन्द्रिका ।
  6. परमाल रासो ।
  7. खुसरो की पहेलियां ।
  8. विद्यापति पदावली ।

2.2.2 वीरगाथात्मक  प्रमुख रचनाएं :-

  1. चन्दपरदाई कृत पृथ्वीराज रासो
  2. जग्निक कृत परमाल रासो
  3. नल्लसिंह कृत विजयपाल रासो
  4. दलपति विजय कृत खुमाण रासो
  5. नरपतिनाल्ह कृत बीसलदेव रासो
  6. शारड्ंधर कृत हम्मीर रासो
  7. मधुकर कृत  जयमयकं जसचन्द्रिका
  8. भटकेदार कृत जयचचंद्र  प्रकाश
  9. अब्दुरहमान कृत सन्देश रासक
  10. विद्यापति की पदावली
  11.  अमीरखुसरो की पहेलियां
  • खुमान रासो : दलपति विजय

इसमें चित्तौड़ के राजा खूमाण द्वितीय का वर्णन है । रचना वीररस प्रधान है ।  गाथा और चौपाई छंद का प्रयोग हुआ है  ।  खुमाण रासो की अभी तक प्रति प्राप्त है ।

  •  बीसलदेव रासो – नरपति नाल्ह

इसके रचयिता नरपति नाल्ह है ।   बीसलदेव रासो की कथा चार खंडों में विभाजित है।  अजमेर के चौहान राजा बीसलदेव और  वर्मा  की पुत्री राजमती का विवाह,विरह और  पुनर्मिलन की कहानी है । बीसलदेव रासो नृत्य गीत प्रधान है ।

  • पृथ्वीराज रासो :  चंदबरदाई

पृथ्वीराज रासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य और इसके रचयिता चंदबरदाई ,  हिंदी के प्रथम महाकवि है ।  कहांजाता है कि पृथ्वीराज के साथ ही चंदबरदाई का जन्म और मृत्यु हुई है ।  चंदबरदाई दिल्ली के महाराज पृथ्वीराज  के राज कवि ही नहीं उनके सामंत और सेनापति भी था ।  पृथ्वीराज रासो ढाई हजार पृष्ठों का बड़ा ग्रन्थ  है । प्राचीन काल में प्रचलित सभी छन्दों का प्रयोग उसमें किया गया है।

  • आल्हा खंड /परमाल रासो –  जग्निक

आल्हा और उदल राजा परमाल के सामंत थे क्षेत्रीय भी थे , यह वीरागीतात्मक काव्य है ।

  • विजयपाल रासो –  नल्लसिंह भट्ठ

इस ग्रंथ में करावली के राजा विजयपाल के युद्धों का वर्णन है । इसकी भाषा ओजस्विनी है ।

  • हम्मीर रासो : शारंग्धर

इसमें अलाउद्दीन के साथ राजा हम्मीर के भयंकर युद्ध का वर्णन है ।

  • जयचन्द्र प्रकाश : भटकेदार

जिस प्रकार चन्दपरदाई ने महाराज पृथ्वीराज के किर्तिमान बनाया था, उसीप्रकार भटकेदार ने खनौज के साम्राट जयचंद्र का गुण गाया । भटकेदार ने जयचंद्र प्रकाश के नाम एक महाकाव्य लिखा । जिसमें जयचंद्र के प्रताप और पराक्रम का विस्तृत वर्णन था । यह आज उपलब्ध नहीं है ।

  • जयमयकांजस चन्द्रिका : मधुकर

कवि मधुकर ने जयमयकांजस चन्द्रिका नामक ग्रंथ लिखा था ।यह भी आज उपलब्ध नहीं है ।

  •  खुसरो की पहेलियां : अमीर खुसरो ।

अमीर खुसरो बडे विनोदी और सह्रदय व्यक्ति थे । जन जीवन के साथ खुल मिलाकर काव्य रचना करनेवाले कवियों में खुसरो का महत्वपूर्ण स्थान है । इन्होने जनता के मनोरंजन के लिए पहेलियां लिखी थी । आदिकाल में खडीबोली को काव्य की भाषा बनाने वाला पहले कवि अमीरखुसरो माने जाते  है ।

  • विद्यापति पदावली : विद्यापति

विद्यापति संस्कृत के महान पंडित थे । कीर्ति लता, कीर्ति पताका और विद्यापति पदावली आदि श्रेष्ठ रचनाएँ है ।  कीर्ति लता और कीर्ति पताका की रचना अपभ्रंश भाषा में  , पदावली की रचना मैथिली भाषा में है ‌। मधुर  गीतों के रचयिता होने के कारण  अभिनयजय देव नाम से भी पुकारे जाते हैं ।  मैथिली भाषा में लिखने के कारण मैथिली कोकिल कहलाये ।‌ हिंदी के आदि गीतकार  उपाधि विद्यापति को ही दे सकते हैं ।

आदिकालीन  वीरगाथात्मक रचनाएं  हिंदी साहित्य की समृद्धि की परिचायक हैं ,तथा ये काव्यधाराएं परवर्ती काव्य की पृष्ठभूमि तैयार करती हैं।

चर्चा के बिंदु

वीर और श्रृंगार रस की प्रचुरता  ।

शौर्य प्रदर्शन के लिए युद्ध ।

हिंदू राजाओं की विवाह संबंधी लोभ वृत्ति ।

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

हिंदी साहित्य का जन्म वीरों और तलवारों के बीच हुआ था । इसलिए वीरगाथकाल का , साहित्य युद्ध साहित्य होना स्वाभाविक है ।  वीरगाथात्मक रचनाओं में वीर और श्रृंगार रस का चित्रण दिखाई पड़ता है ‌।  वीरगाथात्मक  रचनाओं में मुख्य रूप से किसी राजा के  शौर्य की गाथा, युद्ध वर्णन दिखाई जाती है ।

Recap / पुनरावृत्ति

  • आदिकाल में अपळुीिंंश भाषा की रचनाएँ उपलब्ध है ।
  • “परमाल रासो” जगनिक की रचना है ।
  • “विजयपाल रासो” नल्लसिंह की रचना है ।
  • चन्दबरदाई हिन्दी का प्रथम महाकवि है ।
  • “पृथ्वीराज रासो” हिन्दी का प्रथम महा काव्य है ।
  • प्राचीन काल से प्रचलित सभी छन्दों का प्रयोग पृथ्वीराज रासो में देख सकते है ।

Objective types Questions / वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. बीसलदेवरासो के रचयिता कौन है?
2. प्रारंभिक काल में किन-किन स्र्पों में काव्य मिलता है?
3. पृथ्वीराज रासो की विधा क्या है?
4. प्रारंभिक काल की भाषा क्या है?
5. विध्यापति की पदावली की भाषा क्या है?
6. “मैथिली कोकिल” नाम से विख्यात कवि कौन थे?
7. कीर्तिलता की भाषा क्या थी?
8. अमीर खुसरो की भाषा क्या थी?

Answers / उत्तर

1. नरपतिनाल्ह।
2. प्रबंध व मुक्तक।
3. महाकाव्य।
4. डिंगल और पिंगल।
5. मैथिली।
6. विद्यापति।
7. अवहट्ट ।
8. खड़ी बोली ।

Assignment / प्रदत्तकार्य

  • वीरगाथकाल और प्रमुख रचनाएँ ।

Self Assesment / आत्म मूल्याकन

  • वीरगाथकाल के प्रमुख रचनाकारों के नाम लिखिए ?
  • वीर रचनाओं की विशेषताएं क्या है ?