इकाई :2
सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक पहलू
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
किसी भी काल के साहित्य इतिहास को समझने के लिए उसके परिस्थितियों का परिचय आवश्यक है । इसलिए हिंदी साहित्य के इतिहास के आदिकालीन राजनीतिक ,सांस्कृतिक और सामाजिक परिस्थितियों का परिचय आवश्यक है। |
Key Words / मुख्य बिंदु
- युद्धवर्णन, शौर्य प्रदर्शन्शन, हिंदू राजाओं की लोभवृत्ति ।
Discussion / चर्चा
1.2.1 सामाजिक परिस्थिति :
राजनीतिक और धार्मिक परिस्थिति ने सामाजिक स्थिति को प्रभावित किया । जनता शासन और धर्म दोनों ओर से निराश्रय बन गयी । जातियों के बीच उच्च निति की भावना प्रबल बन गई थी । वर्ण व्यवस्था जाति भेद में बदल गई । आचार विचार और स्थान में अंतर होने से एक ही वर्ण की असंख्य उपजातियां भी हो गयी थी । छुआ – छूत के नियम कठोर हो गये । ऐसा माना गया था कि उच्च वर्ग के लोग भोग करने केलिए थे, और निम्नवर्ग के लोग श्रम करनेकेलिए पैदा हुऐ थे । नारी, केवल भोग क्रय – विक्रय एवं उपकरण की वस्तु मानी गई थी । सामान्य जन की शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी । सती प्रथा भी प्रचलित थी ।
साधारण जनता अंध विश्वासों के जाल में फंसी हुई थी। । उस समय स्वयंवर प्रथा का भी विशेष रूप में प्रचार था । इस पवित्र धार्मिक कृत्य के समय कभी – कभी खून की नदियां भी बहाया करती थी । राजा को बहु विवाह करने की रीति कायम थी । अंतपुर सुंदर युवतियों का बाजार बन गया । हिंदू एक बार भी विधर्मि या म्लेच्छ हो गए थे , उन्हें फिर हिंदू बनना कठिन लगता था ।
इस प्रकार हिंदुओं की शक्ति क्षीण होने लगी इस प्रकार सामाजिक परिस्थिति भी विच्छृगल , अशांतिपूर्ण और अव्यवस्थित हो गयी थी ।
1.2.2 राजनीतिक परिस्थिति :
भारतीय इतिहास का यह युग राजनीतिक दृष्टि से अव्यवस्था, विच्छृगल ,गृहकलस और पराजय का युग कहा जाता है ।
विदेशी आक्रमणों ,आपसी फूट , और पारस्परिक विद्वैश के कारण देश का खुलासा होता जा रहा था । सम्राट हर्षवर्धन के निधन के पश्चात उत्तर भारत में केंद्रीय शक्ति का ह्रास हो गया था । देश की एकता को बनाए रखने के लिए जिस शक्ति की जरूरत थी, वह छिन्न-भिन्न हो गई थी। उस समय होने वाली लड़ाईयों के कई कारण थे :-
- अपने राज्य का विस्तार
- शौर्य प्रदर्शन के लिए युद्ध
- हिंदू राजाओं की विवाह संबंधित लोभ वृत्ति ।
- आक्रमणों का सामना ।
इसलिए देश के अंदर अशांति और अनैक्य फैल गई थी । इसी समय देश पर बाहर से मुसलमानों का आक्रमण हुआ । 710 से 711 में मुहम्मद खासिम ने , सिंध पर आक्रमण किया । नवीन शताब्दी तक अरब सिंध तक ही सीमित रहे थे ।
दसवीं शताब्दी में मोहम्मद गजनी ने गजनी पर अपना अधिकार स्थापित किया । एक और बाहर से मुसलमान आक्रमण हो रहा था ओर दूसरी ओर अंदर से राज्य विस्तार के लिए लड़ाई हो गई थी । शुभ अवसर पाकर मोहम्मद गोरी ने भारत पर अपना अधिकार स्थापित करने का निश्चय किया । पृथ्वीराज चौहान और गौरी के बीच घमासान युद्ध हुआ । खनैज के राजा जयचंद्र की सहायता से चौहान को पराजित किया । उसकी मृत्यु के बाद उत्तर भारत मुगल सुल्तान के अधीन बन गए ।
संक्षेप में कह सकते हैं कि 8 वीं से 15 वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास की राजनैतिक परिस्थिति हिंदू सत्ता के क्षय होने की और इस्लाम सत्ता के उदय होने की कहानी है ।
1.2.3 सांस्कृतिक परिस्थिति :
वैदिक और पौराणिक धर्म के विविध रूपों के , साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म भी अपने वास्तविक आदर्शों और सिद्धांतों में से दूर हट गये । बौद्ध धर्म से महायान और सहजयान जैसी परंपरा का उदय हुआ । इन संप्रदायों में अलौकिक शक्ति की प्राप्ति और उनका प्रदर्शन की सिद्धि समझ गया ।
सिद्धि लाभ के लिए उक्त मंत्रों का जब आचार्य विलीन गुप्त क्रियाएं विशेषकर निम्न वर्गों की जातियों से भोग आदि को अपनाया गया । धर्म के नाम पर चमत्कार प्रदर्शन के द्वारा निरीह जनसमुदाय को वंचित करने की प्रवृत्ति बढी़ ।
इस प्रकार देश का नैतिक स्तर गिरा और इंद्रिय लोलुपता की प्रवृर्ति जाग उठी ।
चर्चा के मुख्य बिंदु
- धर्म के नाम पर अधर्म का प्रभाव
- अशांतिपूर्ण परिस्थिति ।
- युद्धों का सजीवर्णन ।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
नारी केवल भोग विलास की वस्तु मानी गई थी । आदिकाल की परिस्थितियां अशांतिपूर्ण और अव्यवस्थित थी । हिंदू सत्ता के धीरे क्षय होने की और इस्लाम सत्ता के उदय होने की प्रवृत्ति देख सकता है ।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
1. सामाजिक परिस्थिति की मुख्य प्रवृत्ति क्या है ? 7. आदिकाल की प्रमुख भाषा क्या क्या है ? |
Answers / उत्तर
1. वर्ण व्यवस्था और जाति भेद। 2. भोग वस्तुओं के रूप में । 3. हिन्दू राजाओं के विवाह संबंधी लोभवृत्ती । 4. वीरता प्रधान रचनाएँ । 5. आचार्य रामचंद्र शुक्ल । 6. वीर और श्रृंगार रस । 7. अपळुीिंंश ,हिन्दी, मैथिली और खडीबोली । 8. राजनीतिक परिस्थिति। |
Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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