Course Content
HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
Private: BA Hindi
About Lesson

इकाई :2

सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक पहलू

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  •   हिंदी साहित्य के इतिहास के प्रमुख परिस्थितियों का परिचय प्राप्त होता है ।
  •   प्राचीन और मध्यकालीन का हिंदी साहित्य की मुख्य विशेषताएँ समझता है ।
  •   आदिकालीन परिस्थितियों के बारे में समझता है ।

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

 किसी भी काल के साहित्य इतिहास को समझने के लिए उसके परिस्थितियों का परिचय आवश्यक है । इसलिए हिंदी साहित्य के इतिहास के आदिकालीन  राजनीतिक ,सांस्कृतिक और सामाजिक परिस्थितियों का परिचय आवश्यक है।

Key Words / मुख्य बिंदु

  • युद्धवर्णन, शौर्य प्रदर्शन्शन,  हिंदू राजाओं की लोभवृत्ति ।

Discussion / चर्चा

 1.2.1 सामाजिक परिस्थिति  : 

राजनीतिक और धार्मिक परिस्थिति ने सामाजिक स्थिति को प्रभावित किया । जनता शासन और धर्म दोनों ओर से निराश्रय बन गयी ।  जातियों के बीच उच्च निति की भावना प्रबल बन गई थी ।  वर्ण व्यवस्था जाति भेद में बदल गई ।   आचार विचार और स्थान में अंतर होने से एक ही वर्ण की असंख्य उपजातियां भी हो गयी थी । छुआ – छूत के नियम कठोर हो गये । ऐसा माना गया था कि उच्च वर्ग के लोग भोग करने केलिए थे, और निम्नवर्ग के लोग श्रम करनेकेलिए पैदा हुऐ थे । नारी,  केवल भोग क्रय – विक्रय एवं उपकरण की वस्तु मानी गई थी ।  सामान्य जन की शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी ‌।  सती प्रथा भी प्रचलित थी ।

       साधारण जनता अंध विश्वासों के जाल में फंसी हुई थी।   । उस समय  स्वयंवर प्रथा का भी विशेष रूप में प्रचार था । इस पवित्र धार्मिक कृत्य के समय कभी – कभी खून की नदियां भी बहाया करती थी ।  राजा को बहु विवाह करने की  रीति कायम थी ।  अंतपुर सुंदर युवतियों का बाजार बन गया ।  हिंदू एक बार भी विधर्मि या म्लेच्छ हो गए थे , उन्हें फिर हिंदू बनना कठिन लगता था ।

      इस प्रकार हिंदुओं की शक्ति क्षीण होने लगी इस प्रकार सामाजिक परिस्थिति भी विच्छृगल ,  अशांतिपूर्ण और   अव्यवस्थित हो गयी थी ।

 1.2.2 राजनीतिक परिस्थिति :

 भारतीय इतिहास का यह युग  राजनीतिक दृष्टि से  अव्यवस्था,  विच्छृगल ,गृहकलस और पराजय का  युग कहा जाता है ।

 विदेशी आक्रमणों ,आपसी फूट , और पारस्परिक विद्वैश के कारण देश का खुलासा होता जा रहा था ।  सम्राट हर्षवर्धन के निधन के पश्चात उत्तर भारत में केंद्रीय शक्ति का ह्रास हो गया था ।  देश की एकता को बनाए रखने के लिए जिस शक्ति की जरूरत थी,  वह छिन्न-भिन्न हो गई थी।  उस समय होने वाली लड़ाईयों के कई कारण थे :-

  • अपने राज्य का विस्तार
  •  शौर्य प्रदर्शन के लिए युद्ध
  •   हिंदू राजाओं की विवाह संबंधित लोभ वृत्ति ।
  •  आक्रमणों का सामना ।

इसलिए देश के अंदर अशांति और अनैक्य फैल गई थी ।  इसी समय देश पर बाहर से मुसलमानों का आक्रमण हुआ । 710 से 711 में मुहम्मद खासिम ने , सिंध पर आक्रमण किया  ।  नवीन शताब्दी तक अरब सिंध तक ही सीमित रहे थे ।

दसवीं शताब्दी में मोहम्मद गजनी ने गजनी पर अपना अधिकार स्थापित किया ।  एक और बाहर से मुसलमान आक्रमण हो रहा था ओर दूसरी ओर अंदर से राज्य विस्तार के लिए लड़ाई हो गई थी ।  शुभ अवसर पाकर मोहम्मद गोरी ने  भारत पर अपना अधिकार स्थापित करने का निश्चय किया ।  पृथ्वीराज चौहान और गौरी के बीच घमासान युद्ध हुआ । खनैज  के राजा जयचंद्र की सहायता से चौहान को पराजित किया ।  उसकी मृत्यु के बाद उत्तर भारत मुगल सुल्तान के अधीन बन गए ।

संक्षेप में कह सकते हैं कि  8 वीं से 15 वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास की राजनैतिक परिस्थिति  हिंदू सत्ता के  क्षय  होने की और इस्लाम  सत्ता के उदय होने की कहानी है ।

1.2.3 सांस्कृतिक परिस्थिति :

वैदिक और पौराणिक धर्म के विविध रूपों  के , साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म भी अपने वास्तविक आदर्शों और सिद्धांतों में से दूर हट गये ।  बौद्ध धर्म  से महायान और सहजयान जैसी परंपरा का उदय हुआ । इन संप्रदायों में अलौकिक  शक्ति की प्राप्ति और उनका प्रदर्शन की सिद्धि समझ गया ।

सिद्धि लाभ के लिए उक्त मंत्रों का जब  आचार्य विलीन गुप्त क्रियाएं   विशेषकर निम्न वर्गों की  जातियों से भोग  आदि को अपनाया गया । धर्म के नाम पर चमत्कार प्रदर्शन के द्वारा निरीह जनसमुदाय को वंचित करने की प्रवृत्ति बढी़ ।

इस प्रकार देश का नैतिक स्तर गिरा और इंद्रिय लोलुपता की प्रवृर्ति जाग उठी ।

चर्चा के मुख्य बिंदु

  • धर्म के नाम पर अधर्म का प्रभाव
  • अशांतिपूर्ण परिस्थिति ।
  •  युद्धों का सजीवर्णन ।

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

नारी केवल भोग विलास की वस्तु मानी गई थी ।  आदिकाल की परिस्थितियां अशांतिपूर्ण और अव्यवस्थित थी । हिंदू सत्ता के धीरे क्षय  होने की और इस्लाम  सत्ता के उदय होने की प्रवृत्ति देख सकता है ।

Recap / पुनरावृत्ति

  • काल विभाजन।
  • आदिकाल ।
  • आदिकाल की विशिष्टताऍ ।
  • सामाजिक परिस्थिति ।
  • सांस्कृतिक  परिस्थिति ।
  • राजनीतिक परिस्थिति ।

Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न

1. सामाजिक परिस्थिति की मुख्य प्रवृत्ति क्या है ?
2. आदि काल में नारी को किस प्रकार से देखा गया ?
3. राजनीतिक परिस्थिति की मुख्य विशेषताएँ क्या है ?
4. आदिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्ति क्या है ?
5. “साहित्य प्रत्येक देश की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब है” यह पंक्ति किस आलोचक का है ?
6. आदिकालीन साहित्य की प्रमुख रस क्याा – क्या हैं ?

7. आदिकाल की प्रमुख भाषा क्या क्या है ?
8. आदिकालीन साहित्य की अत्यंत क्षीण धारा क्या है?

Answers / उत्तर

1. वर्ण व्यवस्था और जाति भेद।
2. भोग वस्तुओं के रूप में ।
3. हिन्दू राजाओं के विवाह संबंधी लोभवृत्ती ।
4. वीरता प्रधान रचनाएँ ।
5. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ।
6. वीर और श्रृंगार रस ।
7. अपळुीिंंश ,हिन्दी, मैथिली और खडीबोली ।
8. राजनीतिक परिस्थिति।

Assignment / प्रदत्तकार्य

  • आदिकाल की परिस्थितियों का परिचय दीजिए

Self Assesment / आत्म मूल्याकन

  • आदिकाल की सामाजिक परिस्थिति का विवरण दीजिए ।
  • आदिकाल की सांस्कृतिक परिस्थिति किस प्रकार से है ?
  • आदिकाल की परिस्थितियां का संक्षिप्त विवरण दीजिए ।
  • आदिकाल की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि व्यक्त करें।