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HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
Private: BA Hindi
About Lesson

इकाई : 3

आदिकाल के वर्गीकरण और विभिन्न नामकरण

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  • आदिकाल के विविध नामकरण के बारे में समझता है।
  •  नामकरण की संबंधित समस्याओं के बारे में समझता है ।
  • आदिकाल का परिचय प्राप्त कर सकता है ।

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

हिन्दी साहित्य का इतिहास करीब एक हज़ार वर्ष पुराना है । अध्ययन की सुविधा के लिए विद्वानों ने एक हज़ार वर्ष की लम्बे इतिहास को चार खंडों में विभाजित किया है । यह काल-विभाजन कोई ऐतिहासिक तत्व के आधार पर नहीं किया गया है, केवल अध्ययन की सुविधा के लिए की गई हैं । काल-विभाजन और नामकरण तथा समय-क्रम पर विद्वानों में मतभेद है । किंतु अधिकांश लोग महा पंडित आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के काल-विभाजन को स्वीकार कर लिया है ।

Key Words / मुख्य बिंद

  • नामकरण की समस्याएं
  • विद्वानों के विभिन्न मत
  • वीरगाथकाल ।

Discussion / चर्चा

आदिकाल के नामकरण ,का प्रश्न हिंदी साहित्य के इतिहास के विवादास्पद प्रश्नों में एक प्रमुख प्रश्न है । हिंदी साहित्य के इतिहास के अनेक अधिकारी लेखक विद्वानों ने इस संबंध में अपने – अपने भिन्न मत दिए हैं ।

सर्वप्रथम मिश्र बंधुओं ने अपने मिश्र बंधु विनोद नामक ग्रंथ में विवेच्य काल को आदिकाल के नाम से पुकारा ,किन्तु आचार्य शुक्ल ने इस युग में वीरगाथाओं की प्रमुखता को ध्यान में रखकर इसे वीरगाथा काल के नाम सेे अभिहित किया ।

शुक्ल जी के नामकरण के संबंध में तीन प्रमुख बातों पर ध्यान देना आवश्यक है :-

1. वीरगाथात्मक ग्रंथों की प्रचुरता ।।

2.जैनाचार्यों द्वारा विरचित प्राचीन ग्रंथों को धार्मिक साहित्य घोषित करके उसे रचनात्मक साहित्य की परिधि से निकाल देना ।

3.रचनाओं में ,भिन्न – भिन्न विषयों पर फुटकर दोहे मिलते हैं, किन्तु उनसे किसी विशेष प्रवृत्ति का निर्मित न हो सकना ।

1.3.1 आदिकाल के नामकरण से संबंन्धित विद्वानों के मत एवं मतभेद :-

हिन्दी साहित्य का आदिकाल 1050 – 1375 ईं तक ठहरता है । दलपति विजय कृत खुमाण रासो ,जिसका रचना काल वि . सं 1190 माना गया है । यहां हिंदी साहित्य का प्रारंभिक काल का आरंभ माना गया है ।

 महापंडित जॅार्ज ग्रियर्सन ने आदि काल को चारण काल नाम दिया है । मिश्रबंधु ने इस काल का नाम प्रारंभिक काल दिया है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इस काल का नाम वीरगाथा काल निर्धारित किया है । आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के मत में यह बीजावपन काल है । इस काल को सामंत काल नाम देकर राहुल साँकृत्यायन ने अपना मत प्रकट किया है । डॉ. रामकुमार वर्मा के मत में यह संधि काल है । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इस काल को आदिकाल’नाम दिया है, जिसे प्राय: सभी विद्वानों ने स्वीकृति दी है ।

1.3.1.1 आदिकाल का नामकरण :-

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल – वीरगाथा काल – वीरभाव की प्रवृत्ति के कारण ।
  • डॉ रामकुमार वर्मा –  चारण काल – चारण या  भाटों के द्वारा  रचित कृतियों के कारण ।

इसे दो कालों में विभक्त किया –

  1. संधि काल – सं 750 – 1000
  2. चारण काल – सं 1000 – 1375

रामकुमार वर्मा ने कहा कि इस काल के अधिसंख्य कवि चारण थे , अत: चारण काल नाम उपयुक्त होगा  ।

  • राहुल सांकृत्यायन – सिद्ध सामंत युग –  साहित्य में सिद्धों की वाणी और सामान्तों  की स्तुति का प्रधान्य के कारण ।
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी – बीजावपन काल । आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने प्रारंभिक युग की प्रवृत्तिगत विविधताओं को देखते हुए इसे बीजवपन काल नाम से अभिहित किया । द्विवेदी जी का मंतव्य यही था कि हिंदी भाषा के साहित्य के विकास का बीज इसी युग में बोया गया , किन्तु परवर्ती विद्वानों को यह नाम स्वीकार्य नहीं हूआ ।
  • डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी – आदिकाल ।आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने प्रारंभिक युग को दिये विभिन्न नामों का विस्तृत विवेचन किया तथा उन्होंने समय के आधार पर इस युग का नामकरण करने का सुझाव दिया और उन्होंने मिश्र बंधुओं द्वारा प्रदत्त आदिकाल नाम को ही अधिक उपयुक्त माना ।
  • मिश्र बंधु  – आरंभिक काल ।     प्रारंभिक काल में कौन – कौन सी प्रामाणिक रचनाएँ है , जो भाषा कि दृष्टि से प्रारंभिक हिंदी के आधार पर ही इस काल की सीमा एवं नामकरण का निर्णय किया जा सकता है । आदिकाल को प्रारंभिक काल की संज्ञा से अभिहित करना अधिक उचित है‌।

Point of Discussion / चर्चा के मुख्य बिंदु

  • आदिकाल के विभिन्न नामकरण
  • वीरगाथा काल ।
  • आदिकाल नाम

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

हिंदी साहित्य इतिहास के  प्रारंभिक काल को आदिकाल कहते हैं ।  आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने अपने इतिहास ग्रन्थ में इस काल का नाम वीरगाथा काल रखा है।  वीरगाथा काल चारण काल ,संधि काल, सिद्ध सामंत काल  आदि नामों से भी इस युग काे संबंधित करते हैं । लेकिन आदिकाल नाम ही सर्वदा उपयुक्त माना गया है ।

Recap / पुनरावृत्ति

  • हिंदी साहित्य का इतिहास
  • नामकरण
  • नामकरण संबंधित विभिन्न विद्वानों के मतभेद ।
  • विभिन्न नामकरण
  • वीरगाथा काल ।
  • आदिकाल ।
  • प्रारंभिक काल  ।
  • आरंभिक काल ।
  •  सिद्ध सामंत युग ।
  •  बीजवपन काल ।

Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न

1. आदिकल को शुकल जी ने क्या नाम दिया ?
2. चारण काल और संधि काल नाम किसने दिया ?
3. आदिकाल को आदिकाल काल नाम किसने दिया?
4. आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ क्या है ?
5. आदिकालीन रचनाओं के प्रमुख रस क्या है ?
6. परमाल रासो का दूसरा नाम क्या है ?
7. पृथ्वीराज रासो का प्रधान रस वीर है, इसका सहयोगी रस क्या है ?
8. पृथ्वीराज रासो में कितने समय है ?

Answers / उत्तर

1. वीरगाथा काल
2. डॉ. रामकुमार वर्मा
3. डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी
4. वीर रस प्रधान रचनाएँ ।
5. वीर और श्रृंगार रस ।
6. आल्हा खंड।
7. श्रंगार रस ।
8. 69 समय ।

Assignment / प्रदत्तकार्य

  •  आदिकाल के विभिन्न नामकरण ।

Self Assesment / आत्म मूल्याकन

  1. शुक्ल जी द्वारा दिया गया वीरगाथा काल नाम की विशेषताएं क्या है ?
  2. आदिकाल के नामकरण संबंधी डॉ :रामकुमार वर्मा के मत क्या है ?
  3. आदिकाल  नामकरण की मुख्य समस्याएं क्या क्या है ?