इकाई : 3
रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
रीति काल के अधिकांश कवि तत्कालीन राजा-महाराजा के आश्रय में रहते थे | आश्रयदाताओं को खुश कराने के लिए श्रृंगार पर अवलंबित रचनाएँ करते थे । रीतिमुक्त कवियों ने कृष्ण के इतिहास-चरित काव्य विषय बनाया है । इस काल में कवियों और रचनाकारों को अपने राजा से सम्मान प्राप्त होने के कारण साहित्य और कला की स्थिति अच्छी रही । लेकिन विलासी राजाओं के आश्रय में रहेने के कारण इन कविओं का मुख्य लक्ष्य उन्हें संतुष्ट करना था । इसलिए इन रचनाओं में साहित्यिक गुण का अभाव देख सकते है । |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
श्रृंगारिकता, रीति निरूपण , आलंकारिकता, भक्ति और नीति, नारी-चित्रण , लक्षण ग्रन्थों का निर्माण , शास्त्रीयता, मुक्तक काव्य प्रणयन ।
Discussion / चर्चा
रीतिकालीन कवियों में विभिन्न प्रवृत्तियों का समावेश हम देख सकते हैं । ये निम्न लिखित हैं :-
5.3.1 रीति निरूपण /लक्षण पन्थों का निर्माण:
रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्ति रीति निरूपण है। रीतिकाल के कवि ने कवि-कर्म और आचार्य- कर्म साथ-साथ निभाया । इस काल के प्रायः सभी कवियों ने लक्षण ग्रन्थों का निर्माण किया। इन कवियों ने संस्कृत के आचार्यों का अनुकरण करके लक्षण-ग्रंथों अथवा रीति ग्रंथों का निर्माण किया है । फिर भी इन्हें रीति निरूपण में विशेष सफलता नहीं मिली है । इनके ग्रंथ एक तरह से संस्कृत-ग्रंथों में दिए गए नियमों और तत्वों का हिन्दी अनुवाद हैं । इनमें मौलिकता और स्पष्टता का अभाव है ।
रीति निरूपण करने वाले आचार्यों के 2 भेद हैं- सर्वांग निरूपक और विशिष्टांग निरूपक ।
काव्यांग निरूपक कवियों का उद्देश्य काव्यांगों का परिचय देना है। इन्होंने लक्षण ग्रंथों के साथ अन्य कवियों की
कविताओं का उदाहरण प्रस्तुत किये हैं।
इनके अलावा तीसरा वर्ग उन कवियों का है जिन्होंनेरीति तत्व तो उनके ग्रंथों में जोडा है परंतु काव्यांगों का लक्षण
उन्होंने नहीं दिया है।
रीतिकालीन कवि का उद्देश्य काव्यशास्त्र के ग्रन्थों कानिर्माण करना न होकर, कवियों को काव्य-शास्त्र के विषय से
परिचित कराना था ।
5.3.2 श्रृंगारिकता:
रीतिकाल की दूसरी बड़ी विशेषता श्रृंगार रस की प्रधानता है। श्रृंगार के संयोग पक्ष के साथ वियोग पक्ष का 90 च्क्रग्र्छ – च्ख्र्ग् – हिन्दी साहित्य का इतिहास आदिकाल से रीतिकाल तक – एॠ क्तक्ष्ग़्क़्क्ष् वर्णन इस युग की कविताओं की एक विशेषता है। श्रृंगार में आलंबन और उद्दीपन के उदाहरणों को भी देख सकते हैं। नखशिख वर्णन भी ज़्यादा हुई हैं । राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं का चित्रण व्यापक स्तर पर हुआ है।
रीतिकालीन कवि श्रृंगार-वर्णन के द्वारा अपने आश्रयदाताओं को संतुष्ट कराते थे। संयोग चित्रण में कहींकहीं अश्लीलता भी दिखाई देती है ।
5.3. 3 आलंकारिकता:
रीतिकाल की अन्य प्रवृत्ति है- आलंकारिकता। राजदरबार और जन- मानस में पर्याप्त सम्मान मिलने केलिए कविगण को अलंकार-शास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक था। इसीलिए अपने ज्ञान को प्रदर्शित करने, और राज-दरबार को चमत्कृत करने के लिए कवियों ने आलंकारिकता को
अपनाया।
5.3. 4 भक्ति और नीति :
दरबारी कवि होने के कारण रीतिकालीन कवियों में भक्ति- भावना स्वाभाविक था। भक्ति- भावना के साथ -साथ नीति की प्राधानता भी देख सकते थे। लेकिन दोनों भाव बिखरी हुई थी। इसलिए इसका ठीक प्रयोग नहीं हुआ था। यह देखकर उसे भक्त या नीति कवि नहीं कहा जा सकता।
5.3. 5 आलम्बन-रूप में प्रकृति-चित्रण:
रीतिकाल में प्रकृति का वर्णन आलम्बन या उद्दीपन रूप में ही हुआ था। अधिकांश: संयोग-वर्णन. में इसका उदाहरण देख सकते हैं ।
5.3. 6 नारी – चित्रण:
रीतिकाल के कवि राज्याश्रित होने के कारण आश्रयदाता को तृप्त करने के लिए नारी के विलासिनी चित्र प्रस्तुत किया। उनके सामने नारी केवल एक विलासिनी प्रेमिका थी । नारी का अस्तित्व भोग-विलास की सामग्री मात्र था। नारी के अन्य उदात्त रूपों पर उसकी दृष्टि पड़ी ही नहीं । रीतिकालीन कवि नारी के सामाजिक महत्त्व और उसकी गौरव को नहीं देख सका।
5.3. 7 शास्त्रीयता
रीतिकालीन अधिकांश कवियों में शास्त्रीयता का व्यापक प्रभाव है। रीतिसिद्ध कवियों ने काव्यशास्त्र, कामशास्त्र, नीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, जैसे सभी सैद्धांतिक पक्षों को नहीं अपनाया। उन्होंने व्यावहारिक रूप से अपनी रचनाओं को उपर्युक्त शास्त्रों से संबंधित उदाहरण देकर शास्त्रीय ज्ञान का परिचय दिया है।
5.3.8 मुक्तक काव्य-प्रणयन
रीतिसिद्ध कवियों की अधिकतर काव्याभिव्यक्ति मुक्तकों के माध्यम से हुई है। लघु आकार के छंदों के माध्यम से
भावों की अभिव्यक्ति जितनी मुक्तकों के माध्यम से हो सकती है, उतनी अन्य माध्यमों से नहीं।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
रीतिकालीन कवियों की प्रवृत्तियों की चर्चा करते वक्त मुख्य रूप से रीति निरूपण और शृंगारिकता ही आते है । लेकिन इस समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अन्य प्रवृत्तियों पर भी प्रकाश डालना संगत है । इस दृष्टि से देखे तो भक्ति और नीति से लेकर प्रकृति चित्रण भी इनकी मुख्य प्रवृत्ति हैं ।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
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Answer / उत्तर
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Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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