Course Content
HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
Private: BA Hindi
About Lesson

इकाई : 4

निर्गुण भक्ति शाखा और उनकी प्रमुख विशेषताएँ

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  • निर्गुण भक्ति से परिचय प्राप्त करता है।
  • ज्ञानमार्गी शाखा से परिचय प्राप्त करता है।
  • प्रेममार्गी शाखा से परिचय प्राप्त करता है।
  • भक्तिकाल के प्रमुख संत कवियों एवं कृतियों से परिचय प्राप्त करता है।
  • भक्तिकाल के प्रमुख सूफी कवियों और कृतियों से परिचय प्राप्त करता है

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

निर्गुण काव्य दो धाराएं बनकर प्रवाहित हुईं -ज्ञानाश्रयी और प्रेममार्गी । ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के अधिकतर कवि संत
थे । निर्गुण भक्तिधारा में ब्रह्मा के निर्गुण स्वरूप की उपासना के प्रति आग्रह भाव व्यक्त किया है । निर्गुण कवियों
के अनुसार परमात्मा प्रकृति के कण-कण में व्याप्त अगोचर रूप है । ज्ञानमार्गी शाखा में निर्गुण ब्रह्मा की उपासना
ज्ञान के माध्यम से प्रस्तावित किया गया है ।

Key Themes / मुख्य प्रसंग

ज्ञानाश्रयी शाखा में ज्ञान से परमात्मा को पाने का आदर्श-प्रचार ।

प्रेममार्गी शाखा में प्रेम से परमात्मा को पाने का आदर्श-प्रचार ।

गुरु की महिमा का उत्घोष ।

कविता में रहस्यवाद का प्रयोग ।

रहस्य भावना का वर्णन ।

परमात्मा के नाम-स्मरण की आवश्यकता ।

हिन्दू–मुसलमान एकता की अनिवार्यता पर बल ।

Discussion / चर्चा

3.4.1 निर्गुण भक्ति काव्य

निर्गुण भक्ति काव्य धारा के अंतर्गत उस परमात्मा की भक्ति की गई जो निराकार, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान है तथा समस्त गुणों से परिपूर्ण है । निराकार (रूपहीन) ब्रह्म के विश्वासी कवि निर्गुण कहलाने लगे है । उसके अनुसार परमात्मा अगोचर है,  जो प्रकृति के कण-कण में व्याप्त है ।

3.4.1 .1 निर्गुण भक्ति काव्य – दो धाराएँ

               निर्गुण काव्य दो धारा बनकर प्रवाहित हुईं –

1. ज्ञानाश्रयी,  2.प्रेममार्गी।

ज्ञानाश्रयी शाखा व धारा के अधिकतर कवियाँ संत थे । सत (Essence, Cream) रूपी परम तत्व पा लिये महान संत कहलाये । कबीर के सिवा निर्गुण भक्ति धारा के प्रसिद्ध कवियों में नामदेव, रैदास, नानक, दादू दयाल, रज्जब दास, मलूक दास, सुंदर दास आदि के नाम उल्लेखनीय है ।

        प्रेममार्गी या प्रेमाश्रयी धारा के अधिकांश कवियाँ सूफी फकीर थे । जिसमें मलिक मुहम्मद जायसी, मंझन, कुतुबन, मुल्ला दाऊद,  उसमान, नूर मोहम्मद, असायत आदि प्रसिद्ध है।

अधिकतर संत औपचारिक शिक्षा से वंचित थे । वे अशिक्षित होने से बोलचाल की भाषा में लिखा है । कबीर जैसे संत अधिकांश समय घूमते फिरते थे । इसलिए उसकी भाषा में विविध क्षेत्रों की भाषा-शैली पायी जाती हैं । कबीर की भाषा अवधी, खड़ी बोली, पूर्वी-हिंदी, संस्कृत,अरबी, फारसी, पंजाबी, राजस्थानी आदि भाषाओं का सम्मिश्रित रूप है । इसे ‘सधुक्कड़ी’ मानी जाती हैं । उन्होंने स्थान-स्थान पर प्रतीकों और उलटबासियों की शैलियाँ भी अपनाई है । इसलिये कभी-कभी उसकी भाषा कठिन प्रतीत होती है|

 चर्चा के मुख्य बिंदु

निर्गुण भक्ति काव्य धारा के अनुसार परमात्मा की भक्ति सर्वव्यापी है

निर्गुण भक्ति कविता में रहस्यवाद का प्रयोग ।

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

निर्गुण भक्ति सामान्यतः ज्ञान मार्ग से जुडी हुई है ।
निर्गुण भक्ति में “गुस्र्” को विशेष महत्व दिए गए थे ।

Recap / पुनरावृत्ति

  • निर्गुण भक्ति में ईश्वर को निर्गुण, निराकार, घट-घटव्यापी, सूक्ष्म माना गया है।
  • निर्गुणोपासना में भक्ति आलंबन निराकार है, फलतः वह जनसाधारण के लिए ग्राह्य नहीं है।
  • निर्गुण भक्ति का सम्बन्ध सामान्यतः ज्ञान मार्ग से जोड़ा जाता है।
  • इस भक्ति में‘गुरु’ को विशेष महत्त्व प्राप्त है।
  • निर्गुण एवं निराकार ब्रह्म से भावात्मक सम्बन्ध जोड़कर रहस्यवाद को काव्य में स्थान निर्गुण परम्परा के भक्त कवियों ने दिया।
  • ईश्वर के नाम की महत्ता पर निर्गुण भक्त कवियों ने भी बल दिया है।
  • इस भक्ति में माधुर्य भाव का समावेश होने पर रहस्यवाद का उदय होता है।
  • नाथ पंथियों से उन्होंने शून्यवाद, गुरु की प्रतिष्ठा, योग प्रक्रिया को ग्रहण किया है।
  • संत कवियों ने वैदिक साहित्य, वैदिक परम्पराओं एवं बाह्याचारों की आलोचना बौध्द धर्म के प्रभाव से की है।
  • संतों ने नाम जप पर विशेष बल दिया। नाम ही भक्ति और मुक्ति का दाता है। वेमानसिक भक्ति पर बल देते है, जो पूर्णतः आडम्बरविहीन होती है।
  • निर्गुण भक्ति में प्रेम को भी महत्ता दी गई है।
  • जाति, वर्ण के अंतर को दूर करके मानव मात्र की एकता का प्रतिपादन करते हुए सामाजिक समरसता लाने का प्रयास किया।
  • इस भक्ति मेंसहज साधना पर भी बल दिया गया, जिसने धार्मिक जीवन की दुरुहताओ को कम किया।
  • ह्रदय की पवित्रता, आचरण की पवित्रता, वासनाओं से मुक्ति गुरु कृपा से ही संभव है ऐसा निर्गुणोपासकों का विश्वास है।

Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न

  1. निर्गुण भक्ति काव्य धारा के दो भेद निर्धारित कीजिये |
  2. ज्ञानाश्रयी शाखा व धारा के अधिकतर कवियाँ कौन थे ?
  3. प्रेममार्गी या प्रेमाश्रयी धारा के अधिकांश कवियाँ कौन थे ?
  4. निर्गुण भक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवि कौन थे ?
  5. प्रेमाश्रयी काव्य धारा के प्रमुख कवि के नाम से कौन जाने जाते थे ?
  6. निर्गुण भक्ति काव्य धारा के अनुसार परमात्मा की विशेषता क्या है ?
  7. निर्गुण भक्ति में प्रेम को भी महत्ता दी गई है।सही या गलत ?
  8. निर्गुण भक्त कवियों ने किस पर बल दिया है ?

Answer / उत्तर

  1. ज्ञानाश्रयी और प्रेममार्गी
  2. ज्ञानाश्रयी शाखा व धारा के अधिकतर कवियाँ संत थे ।
  3. प्रेममार्गी या प्रेमाश्रयी धारा के अधिकांश कवियाँ सूफी फकीर थे|
  4. निर्गुण भक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवी कबीर थे |
  5. जायसी प्रेमाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख कवि के रूप में जाने जाते थे |
  6. निर्गुण भक्ति काव्य धारा के अनुसार परमात्मा अगोचर है|
  7. सही |
  8. ईश्वर के नाम की महत्ता पर |

Assignment / प्रदत्तकार्य

  • भक्ति काल के निर्गुण भक्ति शाखा के विभाजन पर विचार प्रस्तुत कीजिये |
  • हिन्दी भक्तिकाल के निर्गुण भक्त कवि का परिचय दीजिए ।

Self Assesment / आत्म मूल्याकन

  • निर्गुण भक्ति काव्य धारा के अनुसार परमात्मा या इश्वर अगोचर है|
  • निर्गुण भक्ति में प्रेम को भी विशेष महत्त्व है।