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HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
BA Hindi
About Lesson

इकाई : 4

राम काव्य परंपरा और प्रमुख कवि

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  • हिंदी के राम भक्ति धारा के प्रतिनिधि कवि और कविता के सौंदर्य शास्त्र समझता है ।
  • तुलसीदास की व्यक्तित्व, कृतित्व, आदर्श, दृष्टिकोण, राम पर अनन्य भक्ति, तुलसी का समन्वय भावना आदि जानकारी प्राप्त करता है |
  • तुलसीदास की भाषा-शैली, तुलसी की कविता में छंद, अलंकार, लोकनायक का रूप,  भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं साहित्य पर तुलसी की देन आदि समझता है ।

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संस्कृति-सभ्यता और जनमानस के महाकवि के पद पर विराजमान हैं। तुलसी केवल
काव्य सृष्टा ही नहीं है जीवन सृष्टा भी रहे हैं। तुलसीदास मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के नायक है और पथ-प्रदर्शक
भी । तुलसीदास लोक नायक के रूप में जाने जाते हैं । वे युगांतरकारी विश्व कवि के विशिष्ट स्थान पर विराजमान
हैं ।
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Key Themes / मुख्य प्रसंग

तुलसी सगुणोपासक, किंतु परिवर्तनकारी कवि हैं ।
तुलसी सर्वाराध्य श्रीराम के भक्ति में मग्न रहे हैं ।
तुलसी के राम लोक हितैषी-लोक मंगलकारी राम हैं ।
तुलसी राम भक्ति काव्य धारा के सबसे बड़े और प्रतिनिधि कवि हैं ।
तुलसी के राम वाल्मीकि, तमिल कवि कंब, मलयालम कवि एषुत्तच्चन के राम नहीं हैं, तुलसी के राम लोक-नायक हैं ।
तुलसी ने समन्वय के साथ-साथ, सभ्यता, सामाजिकता, मर्यादा, मानवतावाद आदि उच्च विचारों को भी स्थान दिया है।
समन्वयकारी कवि ।
तुलसी के काव्यों में भावपक्ष के समान कलापक्ष भी सबल और समृद्ध है ।
तुलसी ने अपने काव्य में तत्कालीन युग के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थिति की आलोचना करके
प्रशंसनीय रूप में उसका चित्रण किया है ।
तुलसी ने प्रकृति का चित्रण आलंबन और उद्दीपन रूप में किया है ।
तुलसी कृत श्री रामचरितमानस करोड़ों हिन्दुओं का धर्म ग्रंथ है ।
“रामचरितमानस” विश्व की श्रेष्ठ रचनाओं में एक है ।
तुलसी की भक्ति दास्य-भक्ति है ।

Discussion / चर्चा

4.4.1 राम काव्य परंपरा और तुलसीदास ।

लोकनायक तुलसीदास के जन्म स्थान के बारे में भी मतभेद है । अधिकांश विद्वान उनका जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के वाँदा (वर्तमान नाम – चित्रकूट) जिले के राजापुर मानते हैं । तुलसी के बचपन का नाम रामबोला था । गुरु बाबा नरहरिदास ने रामबोला को तुलसीदास नाम दे दिया है । उनके पिता का नाम आत्माराम दूबे तथा माता हुलसी थी ।

तुलसीदास का गुरु नरहरिदास था । उन्होंने उसे सुचारु शिक्षा प्रदान की । उनकी देखरेख में तुलसी ने वेद, दर्शन, काव्य, ज्योतिष आदि का अध्ययन किया । महात्मा तुलसीदास का मृत्यु सन् 1623 में उत्तर प्रदेश के  काशी में हुआ ।

तुलसी अपना सम्पूर्ण जीवन श्रीराम की भक्ति की उत्कर्ष के लिए व्यतीत किये  थे । राम भक्ति में तल्लीन होकर वे एक तपस्वी के वेश में बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, तथा हिमालय का भ्रमण करते रहे थे । लेकिन वे अपने अधिकांश समय काशी, प्रयाग, अयोध्या और चित्रकूट में बिताये थे ।

तुलसीदास की रचनाएँ निम्न लिखित है – 1. रामचरितमानस  2.गीतावली 3.कवितावली 4.बरवै रामायण  5.दोहावली या दोहा रामायण   6.चौपाई रामायण  7.सतसई  8.पंचरत्न   9.जानकी मंगल   10.पार्वती मंगल  11.वैराग्य संदीपनी   12.रामलला नहछू  13.श्री रामाज्ञा प्रश्न  14.संकटमोचन   15.विनय पत्रिका   16.हनुमानबाहुक  17.कृष्ण गीतावली ।

रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि है तुलसीदास| उन्होंने मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम चन्द्र जी का आदर्श जीवन अत्यंत सुन्दर रूप से रामचरितमानस में आंका गया है|  उन्होंने रामचंद्र को आराध्य माना और ‘रामचरित मानस’ के द्वारा राम-कथा को घर-घर में पहुंचा दिया। तुलसीदास हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। समन्वयवादी तुलसीदास में लोकनायक के सब गुण मौजूद थे। आपकी पावन और मधुर वाणी ने जनता के तमाम स्तरों को राममय कर दिया। उस समय प्रचलित तमाम भाषाओं में रामचरितमानस का अनुवाद हुआ। जन-समाज के उत्थान में आपने सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस शाखा में अन्य कोई कवि तुलसीदास के समानउल्लेखनीय नहीं है तथापि अग्रदास, नाभादास तथा प्राणचंद चौहान भी इस श्रेणी में आते हैं।जिस युग में तुलसीदास का जन्म हुआ था उस युग के उत्तर भारतीय समाज धर्म, जाति, राजनीति, संस्कृति आदि के नाम पर विभाजित थे । हिन्दू और मुसलमान के रूप में ही नहीं, वैष्णव, शूद्र, शाक्त आदि विविध प्रकार ईर्ष्या-द्वेष-आपसी अलगाव बढ़ता जा रहा था। । समाज अवर्णों-सवर्णों के रूप में विभक्त थे । तब कर्मकाण्ड और ब्राह्मणवाद जोरों पर था । शूद्रों की दशा शोचनीय थी । उन्हें संस्कृत, वेद तथा उपनिषद आदि पढ़ने में रोक लगी हुई थी । शूद्रों को हरि नाम भजन करने का अधिकार न था । तात्पर्य यह है कि निम्न जाति के लोगों को देव और देव मंदिर निषिद्ध था ।

तुलसी के समय मुगल शासक एक ओर भोग-विलास में डूबकर कर रहे थे । दूसरी ओर भारतीय वेद-दर्शन मरे हुए पड़े थे । निर्गुण भक्त निराकार ईश्वर के पीछे दौड़ रहे थे ।  वैष्णव तो कर्मकाण्ड एवं आडंबर में निमग्न थे । ऐसी विपरीत परिस्थितियों को सामना करते हुए लोक मंगल की भावना को लेकर साहित्य-संस्कृति क्षेत्र की ओर तुलसी का पदार्पण हुआ ।

तुलसीदास के समकालीन कई सगुण भक्त और निर्गुण भक्त कवि थे । तुलसी के अलावा रामभक्त कवियों की श्रेणी में रामानंद, अग्रदास, ईश्वर दास, नाभादास, नरहरिदास आदि के नाम आते हैं । राम भक्ति धारा में अग्रदास का नाम सर्वोच्च आता हैं । अग्रदास तुलसी के समकालीन थे । उनके नाम पर चार ग्रंथ उपलब्ध हैं– 1. हितोपदेश,  2.ध्यान मंजरी,   3.रामध्यान,   4.कुंडलिया ।

तुलसीदास के समय हिन्दी साहित्य मुख्य रूप में सगुण भक्ति धारा (राजभक्ति तथा कृष्ण भक्ति) और निर्गुण भक्ति धारा (ज्ञानमार्गी तथा प्रेममार्गी) के रूप में बह रही थी । तुलसीदास सगुण-राम भक्ति के पोषक  थे ।

रामचरितमानस

रामचरितमानस तुलसी का कीर्ति स्तंभ है । उन्होंने अयोध्या में रहकर इसकी रचना। की । इस विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ अवधी भाषा में लिखी गई । यह प्रबंध काव्य का शुभारंभ उन्होंने सन् 1574 में, चैत्र मास के रामनवमी पर अयोध्या में किया था ।  दो  साल, सात महीने और छब्बीस दिन का समय लगाकर इन्होंने इसे पूरा किया । रामचरितमानस विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46 वाँ स्थान में  विद्यमान है । रामचरित मानस काण्डों में विभक्त है– 1.बालकांड 2.अयोध्याकांड 3.अरण्यकांड   4.किष्किंधाकांड 5.सुंदरकांड  6.लंकाकांड   7.उत्तरकांड ।

 विनय पत्रिका

विनय पत्रिका की रचना काल 1574 से 1622 के बीच के समय माना जाता है ।  रामगीतावली नाम से भी इसे पुकारते हैं। यह मुक्तकों का संग्रह है । इसके मुक्तकों के द्वारा तुलसीदास ने अपना आत्म निवेदन अपना आराध्य भगवान श्रीराम को अर्पित किया है ।

 गीतावली

इसका रचना काल 1573-1613 के बीच मानते हैं । यह ग्रंथ पदावली रामायण के नाम में भी जाना जाता है ।

कवितावली

कवितावली का रचना काल सन् 1574 से 1623 के बीच माना जाता है । इसकी कथा सात कांडों में विभाजित है ।  इस मुक्तक काव्य की भाषा ब्रजभाषा है ।

 कृष्ण गीतावली

कृष्ण गीतावली का रचना काल सन् 1586-1603 के बीच माना जाता है । यह श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित गीतों का संग्रह है ।

बरवैरामायण

बरवैरामायण का रचना काल सन् 1573-1623 के बीच माना जाता है । एकरूपता के बिना मिलने वाले इसमें बरवै छंद में राम की कथा बताई गई है । इसकी राम कथा सात कांड में विभक्त है । इस ग्रंथ में बरवै छंद में लिखे गये 69 मुक्तक उपलब्ध है ।

दोहावली या दोहा रामायण    

दोहावली, दोहा रामायण नाम में भी जाना जाता है । इसमें संगृहीत दोहे में कुछ तुलसी के अन्य रचनाओं में भी देख सकते हैं । इसमें कुल 573 दोहे संगृहीत है ।

 जानकी मंगल

इसकी रचना काल सन् 1572-73 माना जाता है । इसमें प्रयुक्त भाषा अवधी है । जानकी मंगल में श्रीराम और सीता देवी के विवाह को विषय-वस्तु बना दिया है ।

 पार्वती मंहल

पार्वती मंगल का रचना काल 1582 माना जाता है । यह अवधी भाषा में लिखी गई रचना है । इसकी शैली छंद और दोहा है । यह सोहर और हरिगीतिका छंदों में रचा गया काव्य है । तुलसी ने इसमें शिव-पार्वती का विवाहोत्सव का चित्रण किया है ।

 वैराग्य संदीपनी

इसकी रचना काल सन् 1569-70 के बीच मानी जाती है । तुलसी ने इसमें वैराग्य के स्वरूप का चित्रण किया गया है ।

रामलला नहछू

इस ग्रंथ का रचना काल सन् 1570-72 को मानते हैं । यह सोहर शैली में लिखी गई एक छोटी-सी कृति है । रामलला नहछू में शुभ अवसर पर नख काटने के रीति को व्यक्त किया गया है ।

रामाज्ञाप्रश्न  

माना जाता है कि तुलसी ने इसकी रचना सन् 1570 -71 में की है । यह ब्रजभाषा में लिखा गया काव्य है । इसमें सात सर्ग है,  जिसमें राम-कथा कही गई है । इसमें रामचरितमानस में उपेक्षित सीता निर्वासन का प्रसंग को स्थान दिया है ।

काव्यगत विशेषताएँ

तुलसीदास के काव्यों में भाव पक्ष के समान कला पक्ष भी सबल, संपन्न और समृद्ध है । साधारणतः काव्य का महत्ता उसकी भाव पक्ष और कला पक्ष के महत्व के अनुसार मानी जाती हैं । इस दृष्टि में देखते समय लगता है कि निस्संदेह तुलसी हिन्दी के उच्च कोटि के कवि है । उनके साहित्य में व्याप्त सुगठित भाव पक्ष और कला पक्ष उन्हें हिंदी साहित्य के महान और सर्वश्रेष्ठ कवि बना देता है ।

चर्चा के मुख्य बिंदु

तुलसीदास सगुण-राम भक्तिधारा के पोषक है |

तुलसी समन्वयकारी कवि है ।

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

तुलसी ने समन्वय के साथ-साथ, सभ्यता, सामाजिकता, मर्यादा, मानवतावाद आदि उच्च विचारों का भी स्थान दिया है ।

Recap / पुनरावृत्ति

  • तुलसी पहले भक्त है और बाद में विश्व प्रसिद्ध काव्यकार ।
  • उसकी भक्ति शाश्वत एवं लाखों-करोड़ों लोगों को आश्रय-अवलंब प्रदान करने वाली होती है ।
  • उसका आश्रय और अवलंब यह है कि आदर्शनिष्ठ एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र का यशोगान और उन पर आत्मसमर्पण ।
  • तुलसी की राम भक्ति दास्य भक्ति है ।
  • उनका राम सृष्टि, स्थिति और संहार का सर्वाधिकारी है। अपने आराध्य के आगे तुलसी एक तुच्छ, साधारण भक्त-व्यक्ति प्रतीत होता है ।
  • तुलसी का राम निर्गुण भक्त कवियों का राम नहीं है । तुलसी का राम सगुणी है, वह अयोध्या नरपति दशरथ का नंद है, देवी सीता के पति है, लक्ष्मण-भरत तथा शत्रुघ्न का भाई है, समस्त जीव-अजीवों के मित्र है ।
  • तुलसी का राम अयोध्या-मिथिला के लोगों के ही नहीं, संपूर्ण प्रकृति जीव-जंतुओं के बंधु-बाँधव है । उस लोक रक्षक व मंगलकारी रामचंद्र का यश-गान खंड-खंड में, पंक्ति-पंक्ति में, वाक्य-वाक्य में, शब्द-शब्द में तुलसी ने किया है|
  • तुलसी की भाषा में प्रसाद व माधुर्य गुण की प्रमुखता होती है ।
  • उनकी भाषा में कथ्य के अनुकूल वाक्य-विन्यास, शब्दों का उपयुक्त विन्यास, लोकोक्तियों तथा मुहावरों का सुनिश्चित प्रयोग, नाद सौन्दर्य, चित्रात्मकता आदि भाषा-संबंधी अनेक गुण देखने को मिलता है । लगता है कि यह उनकी भाषा की प्राण वायु है ।

Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न

  1. तुलसी का कीर्ति स्तंभ क्या है?
  2. तुलसी का असली नाम क्या है?
  3. तुलसीदास के गुरु कौन है?
  4. रामबोला को किसने तुलसीदास नाम दे दिया?
  5. तुलसी ने कहाँ रहकर रामचरितमानस की रचना की?
  6. तुलसी किस काव्य धारा के कवि है?
  7. रामचरितमानस कितने काण्डों में विभक्त हैं?
  8. अवधि कहाँ प्रचलित भाषा थी?
  9. तुलसी के काव्य की विशेषता क्या है ?
  10. तुलसीदास ने  अपनी रचना का मूल उद्देश्य के रूप में किस्से  स्वीकार किया हैं ?

Answer / उत्तर

  1. रामचरितमानस
  2. रामबोला
  3. गुरु बाबा नरहरिदास
  4. रामबोला को उनके गुरु बाबा नरहरिदास ने तुलसीदास नाम दे दिया |
  5. तुलसीदास ने अयोध्या में रहकर रामचरितमानस की रचना की |
  6. रामभक्ति काव्यधारा के कवि है |
  7. रामचरितमानस 7 काण्डों में विभक्त हैं |
  8. अवधि ‘अवध’ में प्रचलित भाषा थी|
  9. संगीत्मकता तुलसी के काव्य की विशेषता है |
  10. तुलसीदास ने  अपनी रचना का मूल उद्देश्य के रूप में लोकमंगल की भावना  को स्वीकार किया है |

Assignment / प्रदत्तकार्य

  • हिन्दी साहित्य में तुलसी का स्थान निर्धारित कीजिए ।

Self Assesment / आत्म मूल्याकन

  • तुलसीदास के जीवन और रचनाओं के मुख्य संदर्भों का उल्लेख कीजिए|