इकाई : 4
रीतिकाल के अन्य प्रमुख कवि और प्रवृत्तियॉ
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
रीतिकाल में राजा महाराजाओं के जीवन विलासिता से अतिरिक्त आम जनता धार्मिक प्रवृत्तियों से अधिक प्राभावित थे । निर्गुण भक्ति धारा से प्रभावित होकर जनसाधारण से अनेक कवि उभरकर आयें । फलस्वरूप रीतिकाल में अनेक भक्तिकाव्य की रचना हुई । साथ ही अनेक सूफी और प्रेमाख्यान काव्य भी देख सकते है । |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
रीतिकाल की मुख्य प्रवृत्तियों के अलावा अन्य साहित्यिक प्रवृत्तियाँ भी रीतिकाल को संपन्न बना देते हैं । इनमें भक्ति भावना, सूफी अथवा प्रेमाख्यान की प्रवृत्तियाँ आदि उल्लेखनीय है ।
Discussion / चर्चा
6.4.1 संत भक्तिकाव्य
भक्तिकाल के बाद अपनी ज्ञान योग भावना को अग्रसर करने में रीतिकाल के कई संत कवियों ने समय -समय पर योग दिया। इनमें से प्रमुख हैं यारी साहब, दरिया साहब, जगजीवनदास, पलटू साहब, चरन दास, शिवनारायण और तुलसी साहब आदि।
6.4.2 सूफी तथा प्रेमाख्यान काव्य
भक्तिकाल के बाद रीतिकाल में भी पेमाख्यान काव्य परंपरा की प्रवृत्ति देख सकते हैं। यह दो प्रकार के होते थे अध्यात्मिक सिद्धांत परक तथा लौकिक प्रेमपरक। प्रमुख कविगण हैं, कासिमशाह, नूर मुहम्मद, शेख निसार, सूरदास, दुखहरंदास आदि।
6.4.3 अन्य प्रवृत्तियाँ
रीतिकालीन प्रेमाख्यान प्रवृत्तियों में भक्तिकालीन प्रेमाख्यान काव्य भाषा की सरलता और स्वाभाविकता नहीं देख सकते हैं। उनमें अधिक अलंकरण, पाण्डित्य प्रदर्शन और नायक- नायिका भेद की प्रवृत्ति देख सकते हैं। रीतिकालीन राम काव्य, कृष्ण काव्य, नीतिकाव्य और वीर काव्य आदि उदाहरण हैं।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
रीतिकालीन समाज या कवियों में तत्कालीन जनता को प्रेरणा या संदेश देने वाली कोई प्रवृत्ति दिखाई नहीं देती। तत्कालीन रीतिकालीन काव्यों में नवीन जीवन दर्शन तो नहीं देख सकते। तत्कालीन राजाओं के विलासपूर्ण जीवन शैली के कारण रचनाओं में राष्ट्रीय भावना की कमी दिखाई पडता था।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
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Answer / उत्तर
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Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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Reference Books / सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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E- Content / ई : सामग्री
https://youtu.be/G5vB5lzubKQ |