इकाई : 4
रीतिकाल के प्रमुख कवियों एवं रचनाओं का परिचय
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
|
Prerequisites / पूर्वापेक्षा
रीतिकाल की परिस्थितियों और प्रवृत्तियों की चर्चा के बाद अब हमें रीतिकालीन प्रमुख कवि और उनकी रचनाओं की चर्चा करना ज़रूरी हैं । हमें पता है विभिन्न विद्वानों ने रीतिकाल को विभिन्न नाम दियें। हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल को “रीति काल” नाम रखने का श्रेय आचार्य रामचंद्र शुक्ल को है। डॅा. श्यामशंकर शुक्ल ने कला काल, मिश्रबंधु ने अलंकृत काल और आचार्य विश्वनाथन प्रसाद मिश्र ने श्रृंगार काल नाम देकर इस काल को संबोधित किया है । आचार्य शुक्ल का नामकरण सर्वमान्य हो गया है। इसके अलावा साहित्यिक प्रवृत्ति की दृष्टि से देखे तो रीतिकालीन कवियों की मुख्य: तीन धाराएँ हैं। रीतिमुक्त, रीतिसिद्ध और रीतिबद्ध। शास्त्रीय ढंग के अनुसार लक्षण, उदाहरण आदि से युक्त काव्य रचना किये गये कवियों को रीति बद्ध कवि कहते है। काव्य रीति के बन्धन से पूर्णतः मुक्त होकर रचना किये गये कवियों को रीति मुक्त कवि कहते हैं। रीति के भली-भाँति जानकार होकर भी रीति ग्रंथ लिखे बिना उस जानकारी का पूरा-पूरा उपयोग अपने काव्य ग्रन्थों में किये गये कवि को रीति सिद्ध कवि कहते हैं । इस इकाई में प्रमुख रीतिकालीन कवियों और उनकी रचनाओं से परिचय प्राप्त करेंगे । लेकिन उसका विस्तृत परिचय अगला अध्याय से प्राप्त करेंगे।
|
Key Themes / मुख्य प्रसंग
रीतिकालीन प्रवृत्तियों के आधार पर इस काल में तीन श्रेणियों के कविगण को देख सकते हैं । रीतिबद्ध , रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त । वास्तव में इस युग के कवि कव्यांग निरूपण में अधिक ध्यान रखते थे । लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि इनमें से अधिकांश लोग आचार्य नहीं थे । फिर भी काव्य शस्त्रीय दृष्टि से काव्य रचना में निपुण थे ।
Discussion / चर्चा
इस काल की मुख्य प्रवृत्तियों में ‘रीति निरूपण’ आने के कारण इस काल को वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण करना अधिक संगत होगा । लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि इस युग में रीति सम्बन्धी ग्रंथ ही नहीं लिखे गये । विषयों की विविधता इस युग को संपन्न बना देते हैं ।
प्रवृत्ति की दृष्टि से रीतिकालीन कवियों और उनकी रचनाओं को विभिन्न श्रेणी में बाँटा जा सकता हैं , जो निम्न लिखित हैं:-
5.4.1 रीति बद्ध कवि और उनकी रचनाय
शास्त्रीय ढंग के अनुसार लक्षण, उदाहरण आदि से युक्त काव्य रचना किये गये कवियों को रीति बद्ध कवि कहते हैं।
1. चिंतामणि (प्रमुख रचनाएँ – “कवित विचार प्रकाश”, “रामायण”, “कृष्णा चरित”, “रामेश्वमेघ”)
2. देव (प्रमुख रचनाएँ – “भावविलास”, “काव्य रसायन”, “भवानी विलास”, “रस विलास” )
3. कुलपति मिश्र (प्रमुख रचनाएँ – “रस रहस्य”, “युक्ति तरंगिणी”, “संग्राम सार”) ।
4. कुमार मणि (प्रमुख रचनाएँ – “रसिक रंजन”, “रसिक रसाल” )
5. सोमनाथ (प्रमुख रचनाएँ – “श्रृंगार विलास”, “रस पीयूष निधि”, “कृष्ण लीलावती”)
6. भिखारीदास (प्रमुख रचनाएँ – “रस सारांश”, “श्रृंगार निर्णय”, “काव्य निर्णय” ) आदि प्रमुख हैं ।
5.4.2 रीति मुक्त कवि और उनकी रचनाए
काव्य रीति के बन्धन से पूर्णतः मुक्त होकर रचना किये गये कवियों को रीति मुक्त कवि कहते हैं । इसके प्रमुख कवि और रचनाओं का नाम निम्न लिखित हैं :-
1. घनानन्द (प्रमुख रचनाएँ – “सुजान सागर”, “विरहलीला”, “पदावली”, “सुजान हित”)
2. आलम (प्रमुख रचनाएँ – “आलमकेलि”, “सुदामा चरित”, “स्याम सेनही”)
3. ठाकुर (प्रमुख रचनाएँ – “ठाकुर ठसक”, “ठाकुर शतक”)
4. बोधा (प्रमुख रचनाएँ – “विरहवारीश”, “इश्कनामा”)
5.4.3 रीति सिद्ध कवि और उनकी रचनाएँं
रीति के भली-भाँति जानकार होकर भी रीति ग्रंथ लिखे बिना उस जानकारी का पूरा-पूरा उपयोग अपने काव्य ग्रन्थों में किये गये कवि को रीति सिद्ध कवि कहते हैं । रीति सिद्ध कवियों में प्रमुख हैं बिहारी लाल (“बिहारी सतसई”) ।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
रीतिकालीन साहित्य हिन्दी साहित्य के अनेक अमूल्य रचनाओं का सागर है । प्रवृत्ति और कालक्रम के अनुसार इस
समय के हर एक रचना और रचनाकार का अपना महत्वपूर्ण स्थान है ।
Recap / पुनरावृत्ति
|
Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
|
Answer / उत्तर
|
Assignment / प्रदत्तकार्य
|
Self Assesment / आत्म मूल्याकन
|
Reference Books / सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. हिन्दी साहित्य का इतिहास – आचार्य रामचंद्र शुक्ल । 2. हिन्दी साहित्य का इतिहास – संपादक डॉ.नगेन्द्र। 3. हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियॉ – डॉ.शिवकुमार मिश्र । 4. हिन्दी साहित्य का आदिकाल – डॉ.हजारी प्रसाद द्विवेदी । 5. हिन्दी साहित्य उद्भव और विकास – हज़ारी प्रसाद द्विवेदी । 6. हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास – बच्चन सिंह 7. हिन्दी साहित्य का सरल इतिहास – विश्वनाथ त्रिपाठी 8. रीति काव्य धारा – (सं) डॉ. रामचन्द्र तिवारी , डॉ. रामफेर त्रिपाठी, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणासी ।9. रीति काव्य की भूमिका – डॉ. नगेन्द्र, नेशनल पब्लिषिंग हाउस, दिल्ली । 10. ब्रजभाषा साहित्य के इतिहास – डॉ. प्रभु दयाल मीत्तल, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर । 11. रीतीकाव्य – नंदकिशोर नवल । |
E- Content / ई : सामग्री
https://youtu.be/WmZnT4sQCUM |