Course Content
HISTORY OF HINDI LITERATURE
0/34
Environmental Studies
English Language and Linguistics
Introduction to Mass Communication
Private: BA Hindi
About Lesson

इकाई : 5

मुख्य लेखक और उनकी रचनाएं

Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम

  •  आदिकाल के प्रमुख रचनाएँ  समझता है ।
  • आदिकाल के प्रमुख रचनाकार का नाम समझता है।
  • आदिकालीन साहित्य का परिचय मिलता है ।
  • आदिकाल के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ समझ सकते हैं ।

Prerequisites / पूर्वापेक्षा

हिंदी साहित्य के इतिहास के प्रारंभिक काल को आदिकाल कहते हैं ।  हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने इतिहास ग्रंथ में इसका नाम वीरगाथा काल रखा है । वीरगाथा काल का अर्थ है , वीर रस  प्रधान रचनाएँ ।आदिकाल में प्रमुख रुप से अपभ्रंश और हिंदी रचनाएं भी प्रचलित है  ।

Key Themes / मुख्य प्रसंग

रासो साहित्य ।

पृथ्वीराज रासो ।

प्रथम महाकवि चन्दपरदाई ।

खुसरो की पहेलियॉं ।

 श्रृंगारी कवि विद्यापति ।

Discussion / चर्चा 

आदिकाल को आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने वीरगाथा काल नाम रखा है ।  शुक्ल जी ने उस काल में प्राप्त 12 ग्रंथों के आधार पर प्रारंभिक काल को वीरगाथा काल  नाम दिया था | इनमें चार अपभ्रंश रचना आई एम और 8 हिंदी रचनाएं भी हैै ।

1.5.1 अपभ्रंश रचनाएं

  • विजयपाल रासो
  • हम्मीर रासो
  • कीर्ति लता
  • कीर्ति पताका

1.5.2 हिंदी रचनाएं

  1. खुसरो की पहेलियां – अमीर खुसरो।
  2. खुमान रासो – दलपति विजय।
  3.  बीसलदेव रासो –  नरपति नाल्ह ।
  4.  पृथ्वीराज रासो –  चंदबरदाई ।
  5.  परमाल रासो  – जग्निक ।
  6. जय चंद्र प्रकाश – शारंगधर
  7.  जयमयकांजस  चंद्रिका –  मधुकर कवि
  8.   विद्यापति पदावली –  विद्यापति ।

1.5.3 आदिकालीन  प्रसिद्ध ग्रन्थ

  • संदेश रासक – अब्दुल रहमान 10 वीं सदी की वियोग श्रृंगार प्रधान रचना ।
  • पाऊं चरिउ-  स्वयंभू 14वीं सदी की उच्च  14 सदी की उच्च कोटि की रचना ।
  • भविस्सयत कहा – धनपाल 14वीं सदी की उच्च कोटि की कृति ।
  • परमात्मा प्रकाश : जोईंदू – आध्यात्मिक रचना ।
  • पाहूड दोहा – मुनीराम सिंह- रहस्यवादी रचना ।
  •  बौद्धगान और दोहा संकलन – सरहपा आदि सिद्ध कवि ।

हिंदी साहित्य के आदिकाल का जन्म वीरों और तलवारों के बीच हुआ था ।  इसलिए वीरगाथा काल या आदिकाल का साहित्य युद्ध साहित्य होना स्वभाविक है ।आचार्य शुक्ल जी के मत में  वीरगाथाओं  की रचना दो रूपों में मिलती है :-

प्रबंध काव्य रूप में और वीर गीतों के रूप में । इन रचनाओं में श्रृंगार और वीर रस का चित्रण दिखाई पड़ता है ।  ऐसि रचनाओं में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें  दिखाई जाती है :-

  • किसी राजा की शौर्य की गाथा ‌।
  • किसी प्रेम कथा का वर्णन ।
  •  युद्ध वर्णन ।

प्रबंध काव्य के रूप में उपलब्ध सबसे प्राचीन ग्रंथ पृथ्वीराज रासो है ।  बीसलदेव रासो वीर गीत के रूप में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथ हैै ।

  • दलपतिविजय
  •  नरपतिनाल्ह
  •  चंद्रवरदाई
  • भटकेदार
  •  शारंगधर
  • जग्निक
  •  खुसरो
  • मधुकर  आदि प्रमुख कवि है।

1.5.4 आदिकालीन हिंदी का प्रमुख जैन कवि और उनके साहित्य :-

आदिकालीन जैन – साहित्य की रचनावधि ईसा की दसवीं शताब्दी से मानी जाती है । इसमें अत्यंत उच्चकोटि  का साहित्य सर्जन हुआ है । अतएव इस साहित्य का महत्व केवल जैनधर्म के प्रतिपादन की दृष्टि से ही नहीं, भाषा विज्ञान का दृष्टि से भी है ।

  1. पाउच चरिउ — स्वयंभू – 14 वीं सदी, उच्चकोटि की रचना ।
  2. रिट्ठणेमि चरिउ – स्वयंभू , इसमें हरिवंश पूराण का वर्णन है ।
  3. महापूराण , जसहर चरिउ , जयकुमार चरिउ – पुष्पदन्त । पुष्पदन्त का एक ‘अभिमान मेरू ‘ भी मिलता है।
  4. करकण्ड चरिउ – मुनि कनकामर ।
  5. सून्दसण चरिउ – नयनन्दि मुनि ।
  6. णेमिणाई चरिउ – हरिभद्र सूरि ।
  7. नेमिनाथ चरिउ – विनय चन्द्र सूरि ।
  8. भविस्सयत कहा – धनपाल ।
  9. भरत बाहुबलि रास – शालिभद्र सूरि ।

1.5.5 सिद्ध कवि और उनके प्रमुख कवि

सिद्ध कवियों की परंपरा सातवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक मानी जाती है । ऐतिहासिक दृष्टि से इन कवियों की परंपरा बौद्ध धर्म के विकृत रूप के अन्तर्गत आती है । सिद्धों न प्रतिकात्मक भाषा को अपनाया , वह सन्ध्या भाषा कहलायी ।

सिद्धों में सरहप शबरपा ,लूईपा ,गूण्डरिपा कुक्कूरिपा ,कण्हपा ,विणापा , दाणिपा ,भादपा ,धामपा आदि प्रमुख है ।

विद्यापति

विद्यापति आदिकाल और भक्तिकाल के बीच की कडि है । वे एक महान पण्डित थे । उन्होंने अपनी रचनाएं संस्कृत ,अवहट्ट और मैथिली भाषा में लिखी है ।

अवहट्ट  – कीर्ति लता , कीर्ति पताका ।

मैथिली – पदावली

संस्कृत – शैव सर्वस्वसार  , वर्ण कृत्य , गया पत्तलक आदि।

हिंदी साहित्य के आदिकाल विषय वैविध्यता ,कथ्य ,शिल्प और अनेक कवियों के योगदान की दृष्टियों से पर्याप्त संपन्न है । इस साहित्य की अनेक परंपराएं और शैलिगत विशेषताएँ परवर्ती हिंदी काव्य में पल्लवित और पूष्पित हूई ।

चर्चा के मुख्य बिंदु 

  • रासो काव्य,  प्रबंध और गीतों की रचना, हिंदी साहित्य का पहला कवि और पहला महाकाव्य ।

Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन

आदिकालीन  हिंदी साहित्य वीर गीत काव्यों  और प्रेम कथाओं में समाहित  है ।  हिंदी साहित्य के आदिकाल का जन्म वीरों और तलवारों के बीच हुआ था ।  सभी रचनाओं में श्रृंगार और वीर रस का चित्रण दिखाई पड़ता है ‌।

Recap / पुनरावृत्ति

  • हिंदी साहित्य का आदिकाल
  • वीरता प्रधान रचनाएं ।
  • अपभ्रंश और हिंदी रचनाएं ।
  • रासो काव्य की श्रेष्ठता ।
  • हिंदी साहित्य का पहला महाकाव्य ।
  • हिंदी साहित्य का पहला कवि ‌।
  • खुसरो की पहेलियां ।
  • प्रमुख लेखक ।

Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न

1. नरपति नाल्ह की रचना का नाम क्या है?
2. पृथ्वीराज रासो के रचयिता कौन है ?
3. जगनिक द्वारा लिखा गया रासो काव्य क्या है ?
4. आदिकालीन आध्यात्मिक रचना का नाम लिखिए ?
5. पाहूड दोहा के रचयिता कौन है ?
6. सर्वाधिक चरित काव्य किस साहित्य के अंतर्गत लिखे गये है ?
7. संदेश रासक किस प्रकार की रचना है ?
8. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार हिन्दी का प्रथम महाकाव्य कौन है ?

Answers / उत्तर

1. बीसलदेव रासो ।
2. चंदबरदाई ।
3. परमाल रासो या आल्हा खंड ।
4. संदेश रासक – अब्दुल रहमान ।
5. मुनीराम सिंह ।
6. जैन साहित्य ।
7. विरह काव्य।
8. चंदबरदाई ।

प्रदत्तकार्य  –  Assignment

  •  आदिकाल के प्रमुख रचनाएं और उनके लेखक

आत्म मूल्याकन-  Self Assesment

  • हिंदी साहित्य के आदिकाल की प्रमुख रचनाऍ– क्या क्याा है ?
  • प्रमुख रासो काव्य का नाम क्या-क्या है ?
  • आदिकालीन अपभ्रंश रचनाओं का नाम लिखिए ?