इकाई : 5
मुख्य लेखक और उनकी रचनाएं
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
हिंदी साहित्य के इतिहास के प्रारंभिक काल को आदिकाल कहते हैं । हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने इतिहास ग्रंथ में इसका नाम वीरगाथा काल रखा है । वीरगाथा काल का अर्थ है , वीर रस प्रधान रचनाएँ ।आदिकाल में प्रमुख रुप से अपभ्रंश और हिंदी रचनाएं भी प्रचलित है । |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
रासो साहित्य ।
पृथ्वीराज रासो ।
प्रथम महाकवि चन्दपरदाई ।
खुसरो की पहेलियॉं ।
श्रृंगारी कवि विद्यापति ।
Discussion / चर्चा
आदिकाल को आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने वीरगाथा काल नाम रखा है । शुक्ल जी ने उस काल में प्राप्त 12 ग्रंथों के आधार पर प्रारंभिक काल को वीरगाथा काल नाम दिया था | इनमें चार अपभ्रंश रचना आई एम और 8 हिंदी रचनाएं भी हैै ।
1.5.1 अपभ्रंश रचनाएं
- विजयपाल रासो
- हम्मीर रासो
- कीर्ति लता
- कीर्ति पताका
1.5.2 हिंदी रचनाएं
- खुसरो की पहेलियां – अमीर खुसरो।
- खुमान रासो – दलपति विजय।
- बीसलदेव रासो – नरपति नाल्ह ।
- पृथ्वीराज रासो – चंदबरदाई ।
- परमाल रासो – जग्निक ।
- जय चंद्र प्रकाश – शारंगधर
- जयमयकांजस चंद्रिका – मधुकर कवि
- विद्यापति पदावली – विद्यापति ।
1.5.3 आदिकालीन प्रसिद्ध ग्रन्थ
- संदेश रासक – अब्दुल रहमान 10 वीं सदी की वियोग श्रृंगार प्रधान रचना ।
- पाऊं चरिउ- स्वयंभू 14वीं सदी की उच्च 14 सदी की उच्च कोटि की रचना ।
- भविस्सयत कहा – धनपाल 14वीं सदी की उच्च कोटि की कृति ।
- परमात्मा प्रकाश : जोईंदू – आध्यात्मिक रचना ।
- पाहूड दोहा – मुनीराम सिंह- रहस्यवादी रचना ।
- बौद्धगान और दोहा संकलन – सरहपा आदि सिद्ध कवि ।
हिंदी साहित्य के आदिकाल का जन्म वीरों और तलवारों के बीच हुआ था । इसलिए वीरगाथा काल या आदिकाल का साहित्य युद्ध साहित्य होना स्वभाविक है ।आचार्य शुक्ल जी के मत में वीरगाथाओं की रचना दो रूपों में मिलती है :-
प्रबंध काव्य रूप में और वीर गीतों के रूप में । इन रचनाओं में श्रृंगार और वीर रस का चित्रण दिखाई पड़ता है । ऐसि रचनाओं में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें दिखाई जाती है :-
- किसी राजा की शौर्य की गाथा ।
- किसी प्रेम कथा का वर्णन ।
- युद्ध वर्णन ।
प्रबंध काव्य के रूप में उपलब्ध सबसे प्राचीन ग्रंथ पृथ्वीराज रासो है । बीसलदेव रासो वीर गीत के रूप में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथ हैै ।
- दलपतिविजय
- नरपतिनाल्ह
- चंद्रवरदाई
- भटकेदार
- शारंगधर
- जग्निक
- खुसरो
- मधुकर आदि प्रमुख कवि है।
1.5.4 आदिकालीन हिंदी का प्रमुख जैन कवि और उनके साहित्य :-
आदिकालीन जैन – साहित्य की रचनावधि ईसा की दसवीं शताब्दी से मानी जाती है । इसमें अत्यंत उच्चकोटि का साहित्य सर्जन हुआ है । अतएव इस साहित्य का महत्व केवल जैनधर्म के प्रतिपादन की दृष्टि से ही नहीं, भाषा विज्ञान का दृष्टि से भी है ।
- पाउच चरिउ — स्वयंभू – 14 वीं सदी, उच्चकोटि की रचना ।
- रिट्ठणेमि चरिउ – स्वयंभू , इसमें हरिवंश पूराण का वर्णन है ।
- महापूराण , जसहर चरिउ , जयकुमार चरिउ – पुष्पदन्त । पुष्पदन्त का एक ‘अभिमान मेरू ‘ भी मिलता है।
- करकण्ड चरिउ – मुनि कनकामर ।
- सून्दसण चरिउ – नयनन्दि मुनि ।
- णेमिणाई चरिउ – हरिभद्र सूरि ।
- नेमिनाथ चरिउ – विनय चन्द्र सूरि ।
- भविस्सयत कहा – धनपाल ।
- भरत बाहुबलि रास – शालिभद्र सूरि ।
1.5.5 सिद्ध कवि और उनके प्रमुख कवि
सिद्ध कवियों की परंपरा सातवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक मानी जाती है । ऐतिहासिक दृष्टि से इन कवियों की परंपरा बौद्ध धर्म के विकृत रूप के अन्तर्गत आती है । सिद्धों न प्रतिकात्मक भाषा को अपनाया , वह सन्ध्या भाषा कहलायी ।
सिद्धों में सरहप शबरपा ,लूईपा ,गूण्डरिपा कुक्कूरिपा ,कण्हपा ,विणापा , दाणिपा ,भादपा ,धामपा आदि प्रमुख है ।
विद्यापति
विद्यापति आदिकाल और भक्तिकाल के बीच की कडि है । वे एक महान पण्डित थे । उन्होंने अपनी रचनाएं संस्कृत ,अवहट्ट और मैथिली भाषा में लिखी है ।
अवहट्ट – कीर्ति लता , कीर्ति पताका ।
मैथिली – पदावली
संस्कृत – शैव सर्वस्वसार , वर्ण कृत्य , गया पत्तलक आदि।
हिंदी साहित्य के आदिकाल विषय वैविध्यता ,कथ्य ,शिल्प और अनेक कवियों के योगदान की दृष्टियों से पर्याप्त संपन्न है । इस साहित्य की अनेक परंपराएं और शैलिगत विशेषताएँ परवर्ती हिंदी काव्य में पल्लवित और पूष्पित हूई ।
चर्चा के मुख्य बिंदु
- रासो काव्य, प्रबंध और गीतों की रचना, हिंदी साहित्य का पहला कवि और पहला महाकाव्य ।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
आदिकालीन हिंदी साहित्य वीर गीत काव्यों और प्रेम कथाओं में समाहित है । हिंदी साहित्य के आदिकाल का जन्म वीरों और तलवारों के बीच हुआ था । सभी रचनाओं में श्रृंगार और वीर रस का चित्रण दिखाई पड़ता है ।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
1. नरपति नाल्ह की रचना का नाम क्या है? |
Answers / उत्तर
1. बीसलदेव रासो । |
प्रदत्तकार्य – Assignment
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आत्म मूल्याकन- Self Assesment
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