इकाई : 6
भक्तिकाल की अन्य प्रवृत्तियाँ और कवि
Learning Outcomes / अध्ययन परिणाम
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Prerequisites / पूर्वापेक्षा
भक्तिकाल हिन्दी साहित्य के सुवर्ण काल माने जाते हैं । इस काल में मूल रूप में धार्मिक चिंतन की प्रमुखता हुई है। |
Key Themes / मुख्य प्रसंग
भक्तिकाल विविधता की दृष्टि से काफी विशाल है।
भक्ति काल के रचनाकारों ने अपने काव्य में भक्ति को विशेष अर्थ दिया है |
Discussion / चर्चा
भक्तिकाल का दायरा काफी विस्तृत है| इस काल की प्रमुख प्रवृत्ति भक्ति के अलावा जो अन्य प्रवृतियां हैं- उनमें वीर काव्य, प्रबंधकाव्य, श्रृंगार, रीति-निरूपण आदि भी है| भक्ति काल का केंद्रीय तत्व ईश्वर भक्ति है| ईश्वर के प्रति आस्था और आराध्य का गुणगान ही काव्य के रूप में प्रचलित हुआ| महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी भक्त संतो ने ईश्वर की भक्ति भावना से प्रेरित होकर अपनी रचनाएं की है, परंतु उनकी भक्ति की प्रकृति में अंतर है| इनमें से कई अपने ईश्वर को निर्गुण रूप में देखते हैं तो कई सगुण रूप में| लेकिन भक्ति ही दोनों धाराओं का सर्वसमावेशी तत्व है, भक्ति इस काल की मूल प्रवृत्ति और केंद्रीय चेतना भी है| चाहे वह निर्गुण संत हो या सगुण भक्त, सभी इस भक्ति द्वारा सत्य (ईश्वर) का साक्षात्कार करना चाहते हैं| उनके यहां ईश्वर की प्राप्ति एकमात्र माध्यम ईश्वर के प्रति आस्था और समर्पण है|
संपूर्ण भक्ति काल को निर्गुण तथा सगुण दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है| पुनः इसकी दो उप शाखाएं हैं| निर्गुण धारा के भक्तों ने ईश्वर को निराकार रूप में स्वीकार किया| उनके अनुसार ईश्वर शक्तिमान तथा सर्वव्यापी है; वह कण-कण में विद्यमान है अतः वह किसी आकार के अंदर समा ही नहीं सकता है|
4.6.1 भक्तिकाल के प्रमुख कवि ।
निर्गुण धारा के ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों में कबीर, रैदास, नानक, दादू, मलूक दास तथा सुंदर दास का नाम उल्लेखनीय है। इसकी प्रेम मार्गी शाखा के कवियों में जायसी, कुतुबन, मंझन आदि कवि हुए । ये कवि सूफी कहलाते हैं। जिनके आराध्य पुस्र्ष नारी हैं। अर्थात साधक या प्रेमी अपनी प्रेमिका को पाने के लिए प्रयास करता है। उनके ईश्वर नारी के रूप में सर्व शक्तिमान सत्ता के रूप में विद्यमान है। इन कवियों ने प्रेम कथाओं का लोककथाओं के जरिए प्रस्तुत किया है ।
सगुण भक्ति कवियों ने ईश्वर को सगुण- साकार माना है। इनके अनुसार ईश्वर जगत के कल्याण के लिए अवतार लेता है और भक्तों के कष्टों को दूर करता है। इस धारा में कृष्ण तथा राम के रूप में दो शाखाएं हो जाती है। कवियों ने ईश्वर को अपना सखा, प्रेमी माना है। साथ ही साथ उनके बाल रूप का मनोहारी वर्णन किया। इसमें सूरदास, नाभादास, मीराबाई, आदि हैं। राम भक्ति शाखा के कवियों ने राम को मंगलकारी रूप प्रदान किया। उनके राम, परिवार, समाज एवं राष्ट्र की समस्याओं में से संघर्ष करते हैं और जनता का कल्याण करते हैं। कवियों में सिरमौर, तुलसीदास हैं, जिनके राम संपूर्ण जगत में व्याप्त है।
भक्ति काल में निर्गुण-सगुण भक्ति की प्रमुख प्रवृत्तियों के अलावा जो गौण प्रवृत्तियां दृष्टिगत होती हैं उनमें वीर, श्रृंगार, रीति, नीति आदि प्रमुख है|
4.6.2 भक्तिकाल की अन्य प्रवृत्तियाँ
सम्मोहक संगीतात्मकता
भक्तिकाल में भाव और भाषा, काव्य और संगीत का मणि कांचन योग है। काव्य में संगीतात्मकता के समावेश के लिए जिस आत्म-विश्वास, तीव्र अनुभूति, सहजस्फूर्ति और अन्तःप्रेरणा की आवश्यकता होती है, वह भक्ति काव्य में पर्याप्त मात्रा में है। सूर तुलसी, मीरा, कबीर के पद सबके हृदयों और कठों में आज तक बसे हैं।
काव्य रूपों की विविधता
काव्य-रूपों की विविधता की दृष्टि से भी भक्तिकाल काफी समृद्ध है। इसमें प्रबन्धकाव्य, मुक्तक काव्य, सूक्तिकाव्य, संगीतकाव्य, जीवनचरित्र आदि सभी कुछ उपलब्ध होता है।
भक्ति काल की भाषा –
भक्तिकाल के साहित्य की भाषायें अवधी और ब्रजभाषा हैं। तुलसी ने अवधी को और सूर ने ब्रजभाषा को टकसाली और शुद्ध रूप देकर चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
अलंकार, रस एवं छन्द-
अलंकार, रस और छन्द इन तीनों की दृष्टि में भक्तिकाल महत्वपूर्ण है। भक्तिकालीन साहित्य में विविध अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। रसों की तो इस साहित्य में धारा ही बह रही है। छन्दों के नपे-तुले प्रयोग हैं।
चर्चा के मुख्य बिंदु
अलंकार, रस और छन्द इन तीनों की दृष्टि से भक्तिकाल समृद्ध है।
काव्य-रूपों की विविधता की दृष्टि से भी भक्तिकाल काफी संपन्न है।
Critical Overview / आलोचनात्मक अवलोकन
भक्ति काल में ईश्वर के प्रति आस्था और आराध्य का गुणगान ही काव्य के रूप में प्रचलित हुआ । ईश्वर भक्ति ही भक्ति काल का केंद्रीय तत्व है ।
Recap / पुनरावृत्ति
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Objective Questions / वस्तुनिष्ट प्रश्न
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Answer / उत्तरउत्तर – Answer
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Assignment / प्रदत्तकार्य
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Self Assesment / आत्म मूल्याकन
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Reference Books / सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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E- Content / ई : सामग्री
https://youtu.be/wrYOYFYcMhw |